इंडिगो संकट पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल, तत्काल सुनवाई की मांग तेज़ हुई
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इंडिगो संकट पर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर हुई। लगातार उड़ान रद्द होने से यात्रियों की मुश्किलें बढ़ीं। CJI से त्वरित सुनवाई की मांग की गई।
दिल्ली/ इंडिगो एयरलाइन का परिचालन संकट लगातार गहराता जा रहा है और शनिवार को यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुँच गया। पाँचवें दिन भी देशभर में इंडिगो की कई उड़ानें रद्द की गईं, जिससे यात्रियों की परेशानियाँ बढ़ती जा रही हैं। पिछले चार दिनों में एयरलाइन 1,500 से अधिक उड़ानें रद्द कर चुकी है—जिसमें शुक्रवार को 1,000 से ज्यादा और गुरुवार को 550 उड़ानें शामिल हैं। भारी अव्यवस्था, स्टाफ की कमी और ऑपरेशनल गड़बड़ियों के चलते दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद और अन्य प्रमुख हवाई अड्डों पर यात्रियों की लंबी कतारें देखने को मिलीं।
इसी बीच, दिल्ली हवाई अड्डे (DIAL) ने एक एडवाइजरी जारी करते हुए कहा कि परिचालन धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है, लेकिन अभी भी बड़ी संख्या में उड़ानें प्रभावित हैं। यात्रियों को लगातार अपडेट चेक करने की सलाह दी गई है। हालांकि ग्राउंड स्थिति अभी भी पूरी तरह सामान्य नहीं हो सकी है, जिसके कारण हजारों यात्री फंसे और परेशान हैं।
यही कारण है कि इस संकट को अब न्यायपालिका के हस्तक्षेप तक पहुँचते हुए देखा जा रहा है। शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दाखिल की गई, जिसमें मुख्य न्यायाधीश से इंडिगो संकट पर तत्काल और त्वरित सुनवाई की मांग की गई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि लगातार उड़ान रद्द होने, सामान गुम होने, रिफंड में देरी और यात्रियों की फील्ड-level परेशानियों ने एक गंभीर स्थिति पैदा कर दी है, जो सीधे जनता के अधिकारों पर असर डालती है।
याचिका में यह भी आग्रह किया गया है कि अदालत सरकार, DGCA और इंडिगो से जवाब तलब करे, ताकि यह पता लगाया जा सके कि यात्रियों की सुरक्षा, रिफंड प्रक्रिया और वैकल्पिक यात्रा व्यवस्था के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। साथ ही, एयरलाइन को ऐसी स्थिति पैदा होने के कारणों की पारदर्शी जानकारी देने और भविष्य में इससे बचने की योजना प्रस्तुत करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है।
मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुँच जाने के बाद संकट के समाधान की दिशा में तेज़ी आने की उम्मीद है। यात्रियों को भी उम्मीद है कि न्यायपालिका के हस्तक्षेप से राहत कदम तेजी से लागू होंगे।