लोकसभा में VB-G RAM G बिल पर बवाल, विपक्ष का जोरदार विरोध

Tue 16-Dec-2025,07:24 PM IST +05:30

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लोकसभा में VB-G RAM G बिल पर बवाल, विपक्ष का जोरदार विरोध
  • लोकसभा में VB-G RAM G बिल पेश, 125 दिन रोजगार की गारंटी का दावा, विपक्ष ने मनरेगा खत्म करने और पंचायत अधिकार छीनने का आरोप लगाया।

Delhi / Delhi :

नई दिल्ली/ संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में मंगलवार, 16 दिसंबर को सरकार द्वारा पेश किया गया ‘VB-G RAM G’ बिल सियासी विवाद का केंद्र बन गया है। सरकार इस बिल के जरिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) की जगह एक नया कानून लाने की तैयारी में है। बिल पेश होते ही विपक्षी दलों ने इसे गरीब विरोधी बताते हुए कड़ा विरोध शुरू कर दिया।

सरकार का कहना है कि ‘VB-G RAM G’ (विकसित भारत गारंटर फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन ग्रामीण) के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और आजीविका को नई दिशा दी जाएगी। इस प्रस्तावित कानून में ग्रामीण परिवारों को 125 दिन के रोजगार की गारंटी दी जाएगी, जबकि मौजूदा मनरेगा कानून में यह सीमा 100 दिन की है। सरकार इसे रोजगार के अवसर बढ़ाने और विकसित भारत के लक्ष्य से जोड़कर देख रही है।

हालांकि, विपक्ष का आरोप है कि यह बदलाव केवल नाम बदलने तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे गरीबों के अधिकार कमजोर होंगे। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने बिल पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि उन्हें “नाम बदलने की यह सनक समझ नहीं आती।” उन्होंने सवाल उठाया कि जब मनरेगा पहले से ही एक मजबूत और स्थापित कानून है, तो उसे खत्म करने की आवश्यकता क्यों है।

प्रियंका गांधी ने कहा कि भले ही रोजगार के दिनों की संख्या बढ़ाई गई हो, लेकिन मजदूरी दर में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई, जिससे मजदूरों को वास्तविक लाभ नहीं मिलेगा। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस नए बिल के जरिए ग्राम पंचायतों के अधिकार छीने जा रहे हैं। पहले यह अधिकार ग्राम पंचायतों के पास था कि वे तय करें कि उनके क्षेत्र में कौन सा काम होगा, लेकिन नए कानून में फंड आवंटन और कार्य निर्धारण का अधिकार केंद्र सरकार को देने की बात कही गई है।

बिल के विरोध में विपक्षी सांसदों ने संसद परिसर के मकर द्वार के बाहर प्रदर्शन किया। विपक्ष का कहना है कि मनरेगा केवल एक रोजगार योजना नहीं, बल्कि ग्रामीण गरीबों का कानूनी अधिकार है, जिसे कमजोर करने की कोशिश की जा रही है। कई दलों ने इसे केंद्रीकरण की ओर बढ़ता कदम बताया।

वहीं, सरकार का पक्ष है कि नया कानून राज्यों की भी हिस्सेदारी तय करता है, जिससे रोजगार योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन में सहयोग मिलेगा। मनरेगा में जहां अधिकांश वित्तीय जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होती थी, वहीं VB-G RAM G में राज्यों की भूमिका भी स्पष्ट की जा रही है।

फिलहाल यह बिल लोकसभा में चर्चा के दौर से गुजर रहा है और आने वाले दिनों में इस पर और तीखी बहस होने की संभावना है। यह साफ है कि ग्रामीण रोजगार को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच वैचारिक टकराव और गहराने वाला है।