RTI Act 2005: नागरिकों के सूचना अधिकार और ऑनलाइन आरटीआई आवेदन की पूरी प्रक्रिया
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RTI Act 2005 ने नागरिकों को सरकारी रिकॉर्ड, निर्णय और कार्यप्रणाली की जानकारी पाने का संवैधानिक अधिकार दिया।
ऑनलाइन RTI पोर्टल से केंद्र सरकार के विभागों में घर बैठे आवेदन और शुल्क भुगतान संभव हुआ।
समय-सीमा, अपील प्रक्रिया और दंड प्रावधान RTI को पारदर्शिता का मजबूत औजार बनाते हैं।
एजीसीएनएन/ सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (Right to Information Act, 2005) भारत के लोकतांत्रिक ढांचे में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने वाला एक ऐतिहासिक कानून है। यह अधिनियम 12 अक्टूबर 2005 से पूरे देश में लागू हुआ, जिसका उद्देश्य सरकारी कामकाज में गोपनीयता की जगह पारदर्शिता लाना और आम नागरिक को सशक्त बनाना है। इस कानून के तहत कोई भी भारतीय नागरिक केंद्र, राज्य और स्थानीय निकायों से सूचना मांग सकता है, बशर्ते वह सूचना अधिनियम की धारा 8 और 9 के अंतर्गत अपवादों में न आती हो।
RTI Act 2005 की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह नागरिकों को सरकारी फाइलों, रिकॉर्ड, नोटशीट, आदेश, ठेके, बजट, नीतिगत फैसलों और सार्वजनिक धन के उपयोग से जुड़ी जानकारी मांगने का अधिकार देता है। अधिनियम की धारा 6 के अनुसार, सूचना मांगने के लिए आवेदक को कारण बताने की आवश्यकता नहीं होती। केवल यह बताना होता है कि किस विभाग से कौन-सी सूचना चाहिए।
RTI के तहत कौन-सी सूचनाएं मांगी जा सकती हैं
RTI के अंतर्गत सरकारी दस्तावेजों की प्रतियां, कार्य की प्रगति रिपोर्ट, नियमों और दिशा-निर्देशों की जानकारी, किसी योजना के लाभार्थियों की सूची, नियुक्ति और टेंडर से जुड़े रिकॉर्ड जैसी सूचनाएं मांगी जा सकती हैं। हालांकि, राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेशी संबंध, न्यायालय में लंबित मामलों की गोपनीय जानकारी, व्यक्तिगत निजता से जुड़ी सूचना (जब तक सार्वजनिक हित न हो) और कैबिनेट के गोपनीय निर्णय RTI के दायरे से बाहर रखे गए हैं।
समय-सीमा और जवाबदेही
RTI Act में सूचना देने की समय-सीमा स्पष्ट रूप से तय है। सामान्य मामलों में संबंधित लोक सूचना अधिकारी (PIO) को 30 दिनों के भीतर सूचना देनी होती है। यदि सूचना जीवन और स्वतंत्रता से जुड़ी हो, तो 48 घंटे में जवाब देना अनिवार्य है। यदि सूचना किसी अन्य विभाग से संबंधित है, तो आवेदन 5 दिनों के भीतर संबंधित विभाग को ट्रांसफर किया जाता है। समय पर सूचना न देने या गलत सूचना देने पर PIO पर प्रतिदिन 250 रुपये के हिसाब से अधिकतम 25,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
अपील का अधिकार
यदि आवेदक को समय पर सूचना न मिले या अधूरी/गलत सूचना मिले, तो वह प्रथम अपील विभाग के वरिष्ठ अधिकारी के पास 30 दिनों के भीतर कर सकता है। इसके बाद भी संतोषजनक जवाब न मिलने पर द्वितीय अपील राज्य सूचना आयोग या केंद्रीय सूचना आयोग में दायर की जा सकती है। यह व्यवस्था RTI को प्रभावी बनाती है।
ऑनलाइन RTI कैसे लगाएं
डिजिटल इंडिया के तहत केंद्र सरकार ने RTI Online Portal शुरू किया है, जिससे ऑनलाइन आवेदन करना आसान हो गया है। यह सुविधा फिलहाल केंद्र सरकार के मंत्रालयों, विभागों और उनके अधीन संस्थानों के लिए उपलब्ध है।
ऑनलाइन RTI लगाने की प्रक्रिया:
1. सबसे पहले rtionline.gov.in वेबसाइट पर जाएं।
2. “Submit Request” विकल्प पर क्लिक करें और निर्देश ध्यान से पढ़ें।
3. आवश्यक विवरण जैसे नाम, पता, मोबाइल/ईमेल भरें।
4. संबंधित मंत्रालय/विभाग का चयन करें।
5. मांगी गई सूचना को 3000 अक्षरों की सीमा में स्पष्ट रूप से लिखें।
6. आवेदन शुल्क 10 रुपये ऑनलाइन (डेबिट/क्रेडिट कार्ड, नेट बैंकिंग, UPI) के माध्यम से जमा करें।
7. सबमिट करने के बाद एक रजिस्ट्रेशन नंबर मिलेगा, जिससे आवेदन की स्थिति ट्रैक की जा सकती है।
गरीबी रेखा से नीचे (BPL) आने वाले आवेदकों को आवेदन शुल्क में छूट दी गई है, लेकिन उन्हें प्रमाण अपलोड करना होता है।
ऑफलाइन RTI का विकल्प
राज्य सरकारों और स्थानीय निकायों में कई जगह अब भी ऑफलाइन RTI का प्रचलन है। इसके लिए सादे कागज पर आवेदन लिखकर संबंधित विभाग के PIO को भेजा जाता है और 10 रुपये का शुल्क पोस्टल ऑर्डर या कोर्ट फीस स्टांप के रूप में जमा किया जाता है।
पारदर्शिता का सशक्त हथियार
RTI Act 2005 ने घोटालों के खुलासे, योजनाओं में भ्रष्टाचार की पहचान और प्रशासनिक सुधारों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह कानून न केवल जानकारी पाने का साधन है, बल्कि शासन को जवाबदेह बनाने का लोकतांत्रिक औजार भी है। ऑनलाइन RTI ने इसे और अधिक सुलभ बनाकर आम नागरिक की भागीदारी बढ़ाई है।
लेखक- सुधीर कुमार