डिजिटल युग में बच्चों की सुरक्षा के लिए सरकार ने ऑनलाइन सुरक्षा उपाय किए मजबूत
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सरकार ने ऑनलाइन खतरों से बच्चों की सुरक्षा के लिए IT नियम 2021, DPDP अधिनियम 2023 और साइबर सुरक्षा कार्यक्रमों के माध्यम से बहुआयामी कदम उठाए।
एनसीपीसीआर ने साइबर-बदमाशी रोकथाम, सुरक्षित ऑनलाइन शिक्षा और बच्चों में डिजिटल जागरूकता बढ़ाने के लिए कई शोध, दिशा-निर्देश और कार्यशालाएँ आयोजित कीं।
शिक्षा मंत्रालय और सीबीएसई ने स्क्रीन-टाइम नियंत्रण, डिजिटल शिष्टाचार और साइबर सुरक्षा को बढ़ावा देते हुए सुरक्षित व संतुलित ऑनलाइन सीखने पर जोर दिया।
दिल्ली/ सरकार ने स्पष्ट किया है कि बच्चों की सुरक्षा उसके शासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है। डिजिटल युग में जहां बच्चे शिक्षा, मनोरंजन और संचार के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर निर्भर हैं, वहीं साइबर बुलिंग, हानिकारक सामग्री, गोपनीयता उल्लंघन और अश्लील कंटेंट का खतरा बढ़ता जा रहा है। इसी चुनौती को ध्यान में रखते हुए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय सहित कई केंद्रीय संस्थाओं ने व्यापक कदम उठाए हैं।
मंत्रालय ने बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 लागू किए, जिनमें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और इंटरनेट मध्यस्थों को गैर-कानूनी, हानिकारक, बाल-शोषणकारी और अभद्र सामग्री हटाने का दायित्व दिया गया है। नियमों के तहत मध्यस्थों को शिकायत निवारण तंत्र मजबूत करने और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को समयबद्ध सहयोग देने को कहा गया है।
डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (DPDP) अधिनियम, 2023 बच्चों की डिजिटल सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह अधिनियम बच्चों के व्यक्तिगत डेटा को प्रोसेस करने से पहले माता-पिता की सत्यापित सहमति अनिवार्य करता है। इसके साथ ही बच्चों की ट्रैकिंग, बिहेवियरल मॉनिटरिंग और टार्गेटेड विज्ञापनों पर सख्त रोक लगाई गई है।
वहीं इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए सूचना सुरक्षा शिक्षा और जागरूकता कार्यक्रम में साइबर स्वच्छता, ऑनलाइन सुरक्षा और जिम्मेदार डिजिटल व्यवहार पर जोर दिया जाता है।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) भी लगातार महत्वपूर्ण पहल कर रहा है। आयोग ने बच्चों द्वारा मोबाइल और इंटरनेट उपयोग के प्रभावों पर शोध अध्ययन प्रकाशित किया, जिसे कई मंत्रालयों और राज्यों के बाल अधिकार आयोगों को भेजा गया। आयोग ने स्कूलों के लिए “साइबर सुरक्षा” दिशा-निर्देश, “ऑनलाइन सुरक्षित रहना” गाइडलाइन और साइबर-बदमाशी रोकथाम निर्देश भी जारी किए। 2024–25 में आयोग ने 25 जिला स्तरीय कार्यक्रम भी आयोजित किए।
इसके अलावा NCPCR ने मेटा, गूगल, यूट्यूब और अन्य प्लेटफॉर्म के साथ बैठक कर CSAM (Child Sexual Abuse Material) से संबंधित नियम और रोकथाम उपायों पर चर्चा की।
शिक्षा मंत्रालय ने प्रज्ञाता दिशानिर्देश जारी किए, जिनमें आयु-उपयुक्त स्क्रीन-समय की अनुशंसा, माता-पिता की भूमिका, ऑनलाइन और ऑफलाइन गतिविधियों में संतुलन और बच्चों के मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य की निगरानी पर जोर दिया गया है।
सीबीएसई ने भी स्क्रीन टाइम कम करने, सुरक्षित डिजिटल शिक्षा के लिए प्रज्ञाता दिशानिर्देश अपनाने, साइबर सुरक्षा पुस्तिका प्रकाशित करने और स्कूलों को साइबर क्लब बनाने के लिए प्रेरित करने सहित कई कदम उठाए हैं। शिक्षक प्रशिक्षण में भी साइबर स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जा रही है।
एनसीईआरटी ने “कोविड-19 के समय में सुरक्षित ऑनलाइन शिक्षा” पुस्तिका जारी की है, जबकि स्वास्थ्य मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय की संयुक्त पहल “स्कूल स्वास्थ्य एवं कल्याण कार्यक्रम” के अंतर्गत इंटरनेट और गैजेट्स के सुरक्षित उपयोग को स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया गया है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि डिजिटल उपयोग के बढ़ते प्रसार के बीच बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी मंत्रालय, आयोग और शैक्षणिक संस्थान मिलकर बहु-स्तरीय रणनीति पर काम कर रहे हैं।