आयुष संसदीय समिति बैठक: औषधीय पौधों की खेती से किसान सशक्तिकरण पर जोर

Tue 16-Dec-2025,12:32 PM IST +05:30

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आयुष संसदीय समिति बैठक: औषधीय पौधों की खेती से किसान सशक्तिकरण पर जोर
  • आयुष संसदीय समिति बैठक में औषधीय पौधों की खेती को किसान सशक्तिकरण, आयुष मूल्य श्रृंखला और जैव विविधता संरक्षण का मजबूत आधार बताया गया।

  • राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड की योजनाओं से प्रशिक्षण, जागरूकता और गुणवत्ता कच्चे माल की सतत आपूर्ति पर विशेष बल दिया गया।

  • “ई-चरक” डिजिटल प्लेटफॉर्म और केवीके की भूमिका से किसानों की बाजार पहुंच और ग्रामीण आय बढ़ाने पर चर्चा हुई।

Delhi / New Delhi :

New Delhi/ आयुष मंत्रालय की संसदीय परामर्श समिति की दूसरी बैठक 15 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली में केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रतापराव जाधव की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक में विभिन्न राजनीतिक दलों के लोकसभा और राज्यसभा सांसदों ने भाग लिया, जिनमें श्री सदानंद म्हालु शेट तानावडे, श्री अष्टिकर पाटिल नागेश बापूराव और श्री नीलेश डी. लंके प्रमुख रूप से शामिल थे।

बैठक के दौरान श्री प्रतापराव जाधव ने किसानों को सशक्त बनाने, आयुष क्षेत्र को मजबूत करने और जैव विविधता संरक्षण में औषधीय पौधों की खेती की अहम भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देने और सतत स्वास्थ्य प्रणाली के निर्माण के लिए आयुष प्रणालियों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य ढांचे में एकीकृत करने पर निरंतर कार्य कर रही है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मजबूत पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों की नींव उच्च गुणवत्ता वाली दवाओं पर आधारित होती है, जो औषधीय पौधों से प्राप्त गुणवत्तापूर्ण कच्चे माल की सतत आपूर्ति पर निर्भर करती है। उन्होंने स्रोत स्तर पर गुणवत्ता सुनिश्चित करने को प्रभावी स्वास्थ्य परिणामों के लिए आवश्यक बताया।

राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (एनएमपीबी) की पहलों का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि पिछले 25 वर्षों से बोर्ड “औषधीय पौधों का संरक्षण, विकास और सतत प्रबंधन” विषय पर केंद्रीय क्षेत्र योजना का सफल क्रियान्वयन कर रहा है। किसानों की जागरूकता और क्षमता निर्माण के लिए सूचना, शिक्षा और संचार गतिविधियों पर विशेष ध्यान दिया गया है।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2020-21 से 2024-25 के बीच किसानों के प्रशिक्षण और जागरूकता के लिए 139 परियोजनाओं के अंतर्गत लगभग 1161.96 लाख रुपये स्वीकृत किए गए। देशभर में स्थापित सात क्षेत्रीय-सह-सुविधा केंद्र किसानों को तकनीकी सहायता प्रदान कर रहे हैं। “ई-चरक” डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से किसानों को सीधे खरीदारों से जोड़कर बाजार पहुंच को मजबूत किया गया है।

श्री जाधव ने कृषि विद्यापीठों और कृषि विज्ञान केंद्रों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि इनके माध्यम से औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देकर ग्रामीण आजीविका और किसानों की आय में वृद्धि की जा सकती है। उन्होंने समिति सदस्यों के सुझावों को आयुष क्षेत्र और वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा में भारत की नेतृत्व भूमिका को सुदृढ़ करने वाला बताया।