भारत की कल्याण क्रांति: किसानों, महिलाओं और गरीब परिवारों को सशक्त बनाने वाली प्रमुख योजनाएँ
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सरकार की बहु-आयामी कल्याणकारी योजनाओं ने किसानों, महिलाओं, गरीबों और युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने में बड़ी भूमिका निभाई, जिससे भारत की सामाजिक आधारशिला मजबूत हुई।
आयुष्मान भारत, पीएम-किसान, उज्ज्वला, स्वनिधि और स्वामित्व जैसी योजनाओं ने आर्थिक सुरक्षा, संपत्ति अधिकार और स्वास्थ्य सुविधाओं को समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचाया।
डिजिटल इंडिया, डीबीटी और आधार आधारित पहचान प्रणाली ने पारदर्शिता को बढ़ाकर सरकारी योजनाओं को तेज, सरल और भ्रष्टाचार मुक्त बनाते हुए प्रशासनिक दक्षता को मजबूत किया।
नई दिल्ली/ भारत में पिछले एक दशक के दौरान केंद्र सरकार ने सामाजिक सुरक्षा, महिलाओं के सशक्तिकरण, ग्रामीण विकास, डिजिटल समावेशन और आर्थिक स्थिरता के क्षेत्रों में कई ऐतिहासिक पहलें लागू की हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य केवल सुविधाएँ देना नहीं, बल्कि प्रत्येक नागरिक को आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ाना है। ‘अंत्योदय’ के सिद्धांत यानी सबसे अंतिम व्यक्ति तक लाभ पहुँचाने के लक्ष्य के तहत सरकार ने ऐसे सुधार किए, जिनसे देश के ग्रामीण और शहरी दोनों वर्गों में उल्लेखनीय बदलाव देखने को मिले हैं।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि: किसानों के लिए स्थिर आय का आधार
कृषि क्षेत्र की रीढ़ छोटे और सीमांत किसान हैं। इस वर्ग की आय सुनिश्चित करने के लिए पीएम-किसान योजना शुरू की गई। पात्र किसानों को हर वर्ष 6,000 रुपये की प्रत्यक्ष सहायता उनके बैंक खातों में भेजी जाती है। डीबीटी के कारण न तो बिचौलिए की भूमिका रही और न ही किसी प्रकार की कटौती। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को स्थिरता मिली और खेती-किसानी में आत्मनिर्भरता बढ़ी।
प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना– आयुष्मान भारत: दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य सुरक्षा
स्वास्थ्य संकट भारत के गरीब परिवारों को सबसे अधिक प्रभावित करता था। आयुष्मान भारत के माध्यम से 10 करोड़ से अधिक परिवारों को 5 लाख रुपये तक का निःशुल्क स्वास्थ्य बीमा मिला। लाखों लोगों ने कैंसर, हृदय रोग, गंभीर दुर्घटना और बड़े ऑपरेशनों का खर्च उठाए बिना इलाज कराया। इससे लाखों परिवार गरीबी रेखा से नीचे जाने से बच गए।
प्रधानमंत्री आवास योजना: हर परिवार के पास अपना घर
शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में लाखों परिवारों को पक्के घर उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया। आधुनिक सुविधाओं के साथ बने हुए इन घरों ने कमजोर वर्गों को सुरक्षा और गरिमा दोनों दीं। घर निर्माण के साथ रोजगार भी बढ़ा और स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति मिली।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना: हर पेट को भोजन
कोविड के समय शुरू हुई यह योजना आज भी करोड़ों परिवारों को राहत दे रही है। 2023 में इसे 5 वर्षों के लिए बढ़ाया गया, जिसके तहत पात्र परिवारों को प्रति माह 5 किलो मुफ्त अनाज दिया जा रहा है। इससे खाद्य सुरक्षा को मजबूती मिली।
स्वामित्व योजना: ग्रामीण भारत में संपत्ति का अधिकार
देश के लाखों गाँवों में घरों और ज़मीनों का कोई स्पष्ट रिकॉर्ड नहीं था। ड्रोन सर्वे के जरिए ग्रामीण संपत्तियों का डिजिटलीकरण किया गया। लोगों को संपत्ति कार्ड दिया गया, जो उनके मकान या भूमि का वैध प्रमाण है। इससे न केवल कानूनी अधिकार मिले, बल्कि बैंक लोन भी आसान हुआ।
पीएम स्वनिधि: स्ट्रीट वेंडरों के लिए सम्मान और अवसर
कोरोना के बाद सबसे ज्यादा प्रभावित स्ट्रीट वेंडर ही हुए। उनके लिए बिना किसी गारंटी के 10,000 से 50,000 रुपए तक का ऋण उपलब्ध कराया गया। लाखों वेंडरों ने अपने व्यवसाय को दोबारा खड़ा किया और डिजिटल पेमेंट से जुड़कर अधिक कमाई शुरू की।
डिजिटल इंडिया और जनधन-आधार-मोबाइल त्रिकोण
देश में पिछले वर्षों में डिजिटल क्रांति हुई। जनधन खातों, आधार और मोबाइल लिंकिंग के कारण कल्याण योजनाओं का लाभ सीधे बैंक खातों तक पहुँचा। इससे पारदर्शिता बढ़ी, भ्रष्टाचार घटा और सरकारी खर्च की बचत हुई। UPI ने वैश्विक स्तर पर डिजिटल भुगतान में भारत को अग्रणी बना दिया।
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना: मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य में सुधार
पहली बार मातृत्व भुगतान की एकीकृत योजना लागू की गई। गर्भवती महिलाओं को वित्तीय सहायता मिली, जिससे पोषण और स्वास्थ्य सेवाओं तक उनकी पहुँच आसान हुई। इससे शिशु मृत्यु दर और कुपोषण में कमी आई।
उज्ज्वला योजना: धुएँ से मुक्त रसोई
गरीब परिवारों की महिलाओं को कनेक्शन, रिफिल और स्टोव की मदद देकर स्वच्छ रसोई का सपना पूरा किया गया। इससे महिलाओं की सेहत सुधरी, समय की बचत हुई और पर्यावरण को भी लाभ मिला।
पीएम गति शक्ति: इंफ्रास्ट्रक्चर में गेम चेंजर
रेल, सड़क, बंदरगाह, लॉजिस्टिक्स, एयरपोर्ट और इंडस्ट्रियल कॉरिडोर को एक ही डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जोड़कर सरकारी योजनाओं की गति बढ़ाई गई। इससे विकास कार्य अधिक तेज़ी और पारदर्शिता के साथ हुए।
पीएंडडेटेड ट्रांसफॉर्मेशन: भ्रष्टाचार पर विराम
डीबीटी, डिजिटलीकरण, ई-गवर्नेंस, ऑनलाइन रिकॉर्ड, फेस-ऑथेंटिकेशन जैसी तकनीकों ने सरकारी संस्थानों में ईमानदारी और दक्षता को बढ़ाया। लाभार्थियों को योजनाओं का फायदा निर्धारित समय पर मिला।