सुशासन से बदली ग्रामीण भारत की तस्वीर, आजीविका और अवसरों का विस्तार
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सुशासन, विकेंद्रीकरण और डिजिटल कनेक्टिविटी से ग्रामीण भारत में आजीविका, रोजगार और बुनियादी ढांचे में व्यापक बदलाव दिखाई दे रहा है।
DAY-NRLM, मनरेगा और PMGSY जैसी योजनाएं ग्रामीण आय, रोजगार सुरक्षा और कनेक्टिविटी को मजबूत कर रही हैं।
महिला नेतृत्व, कौशल विकास और अभिसरण मॉडल ग्रामीण विकास को साझा समृद्धि के मिशन में बदल रहे हैं।
नागपुर/ भारत के ग्रामीण परिदृश्य में परिवर्तन अब नीतिगत घोषणाओं तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह रोज़मर्रा की ज़िंदगी में दिखने लगा है। मध्य प्रदेश के गुना जिले के श्रीपुरा गांव की सरिता सैनी की कहानी इसी बदलाव का जीवंत उदाहरण है। एक साधारण किसान परिवार से आने वाली सरिता आज सब्ज़ी उत्पादन को सौर ऊर्जा आधारित ड्राइंग तकनीक से जोड़कर साल भर आय अर्जित कर रही हैं। स्थानीय बाजारों में ताज़ी सब्ज़ियों की बिक्री के साथ-साथ वह उन्हें सुखाकर भंडारण भी करती हैं, जिससे फसल सीज़न के बाहर भी बाजार तक पहुंच बनी रहती है।
एकता स्व-सहायता समूह की सदस्य सरिता को शुरुआत में सीमित संसाधन, तकनीकी जानकारी की कमी और आय की अनिश्चितता जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा। मध्य प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत संस्थागत समर्थन, प्रशिक्षण और पंचायत स्तर की भागीदारी से उन्हें लगभग एक लाख रुपये मूल्य का सोलर ड्रायर मिला। इसका परिणाम यह हुआ कि आज उनकी मासिक आय औसतन 20,000 रुपये तक पहुंच चुकी है। यह उदाहरण बताता है कि लक्षित सहायता और सुशासन का सही मेल स्थानीय उद्यमिता को कैसे सशक्त बनाता है।
विकेंद्रीकरण और सहभागिता: विकास का नया आधार
सरिता जैसी कहानियां उस व्यापक शासकीय ढांचे का हिस्सा हैं, जिसमें लोगों को विकास की प्रक्रिया के केंद्र में रखा गया है। विकेंद्रीकरण भारत के ग्रामीण परिवर्तन का मूल सिद्धांत रहा है। ग्राम पंचायतों, स्वयं सहायता समूहों और समुदाय-आधारित संस्थानों को मज़बूत कर शासन को नागरिकों के नज़दीक लाया गया है। इससे योजनाओं की शीर्ष-डाउन डिलीवरी के बजाय सहयोगात्मक मॉडल विकसित हुआ है, जिसमें समुदाय प्राथमिकताओं का निर्धारण और जमीनी निगरानी स्वयं करता है।
ग्रामीण आजीविका मिशन: आय स्थिरता की ओर कदम
ग्रामीण विकास मंत्रालय के कार्यक्रम इस परिवर्तन की रीढ़ हैं। दीनदयाल अंत्योदय योजना–राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) दुनिया की सबसे बड़ी आजीविका पहलों में शामिल हो चुका है। इस मिशन के तहत 10 करोड़ से अधिक ग्रामीण परिवार स्वयं सहायता समूहों से जुड़े हैं।
लखपति दीदी पहल ने उन महिलाओं को पहचान दी है जिनकी वार्षिक पारिवारिक आय विविध गतिविधियों से एक लाख रुपये से अधिक हो गई है। 24 दिसंबर 2025 तक 10.29 करोड़ से अधिक परिवार DAY-NRLM के अंतर्गत संगठित हो चुके हैं, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक बदलाव का संकेत है।
रोज़गार सुरक्षा: ग्रामीण लचीलापन
ग्रामीण जीवन में आय की निरंतरता सुनिश्चित करने में मनरेगा की भूमिका निर्णायक रही है। 2005 में शुरू हुई इस योजना ने ग्रामीण परिवारों को कम से कम 100 दिन के वैधानिक रोज़गार की गारंटी दी।
2013-14 के बाद से इसमें उल्लेखनीय सुधार हुए हैं, महिला भागीदारी 48% से बढ़कर 56.74%, आधार-आधारित सक्रिय श्रमिक 76 लाख से बढ़कर 12.11 करोड़, और ई-पेमेंट 99.99% तक पहुंच गया है।
उभरती जरूरतों को देखते हुए सरकार ने रोज़गार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) अधिनियम, 2025 के तहत 125 दिनों की रोजगार गारंटी का प्रस्ताव रखा है, जो विकसित भारत@2047 की सोच से जुड़ा है।
आवास और सड़कें: जीवन गुणवत्ता का आधार
ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षित आवास और कनेक्टिविटी जीवन स्तर तय करते हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना–ग्रामीण के अंतर्गत 24 दिसंबर 2025 तक 3.86 करोड़ स्वीकृत घरों में से 2.92 करोड़ का निर्माण पूरा हो चुका है।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के तहत 1.84 लाख सड़कों का निर्माण हुआ है, जिसकी कुल लंबाई 7.87 लाख किलोमीटर है। झारखंड के गोड्डा जिले में 5.68 किमी लंबी सड़क का निर्माण स्थानीय बाजारों, स्वास्थ्य और शिक्षा तक पहुंच आसान बनाता है, जिससे 10,000 से अधिक लोग सीधे लाभान्वित हुए हैं।
कौशल विकास और सामाजिक सुरक्षा
दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना ने 1 सितंबर 2025 तक 17.71 लाख युवाओं को प्रशिक्षित और 11.51 लाख को रोजगार से जोड़ा है।
साथ ही, राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम बुजुर्गों, विधवाओं और दिव्यांगों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है। सांसद आदर्श ग्राम योजना और श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन जैसे कार्यक्रम चयनित क्षेत्रों में समग्र विकास का मॉडल प्रस्तुत करते हैं।
डिजिटलीकरण: सीमाओं से आगे बाजार
डिजिटल कनेक्टिविटी ने ग्रामीण उत्पादों को नए बाजार दिए हैं। उत्तर प्रदेश के समैसा गांव में मां सरस्वती ग्राम संगठन ने इंडियामार्ट के माध्यम से केले के फाइबर उत्पादों के थोक ऑर्डर हासिल किए। इससे कीमतें 150 से 200 रुपये प्रति किलो तक बढ़ीं।
संस्थागत स्तर पर ई-ग्रामस्वराज और सभासार जैसे प्लेटफॉर्म पारदर्शिता बढ़ा रहे हैं। 2024-25 तक 2.5 लाख से अधिक ग्राम पंचायतों ने योजनाएं ऑनलाइन अपलोड कीं, जबकि भारतनेट से 2.14 लाख पंचायतें जुड़ चुकी हैं।
अभिसरण: बिखरे प्रयासों का एकीकरण
मिशन अंत्योदय डेटा-आधारित दृष्टिकोण से विकास अंतराल पहचानता है। पीपुल्स प्लान अभियान और पंचायत विकास योजनाएं ग्राम सभाओं को निर्णय प्रक्रिया के केंद्र में रखती हैं।
सुशासन दिवस के अवसर पर यह स्पष्ट है कि ग्रामीण विकास अब योजनाओं का संग्रह नहीं, बल्कि साझा समृद्धि का मिशन बन रहा है। श्रीपुरा की सरिता सैनी की कहानी बताती है कि सही नीतियां, ईमानदार क्रियान्वयन और समुदाय की भागीदारी मिलकर ग्रामीण भारत की नई कहानी लिख रही हैं।