Delhi Govt’s Zero Tolerance on Pollution: PUC चालान माफी खत्म, ई-बस सेवा, ई-रिक्शा गाइडलाइन और DTC बस रूट सुधार पर फैसले
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दिल्ली सरकार ने PUC चालान माफी पर रोक लगाई, प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति लागू।
ओला-उबर के साथ ई-बस सेवा शुरू करने की योजना, निजी वाहनों का दबाव घटाकर प्रदूषण कम करने की तैयारी।
ई-रिक्शा के लिए नई गाइडलाइन और DTC बस रूट सुधार से ट्रैफिक और वायु गुणवत्ता सुधारने का लक्ष्य।
दिल्ली/ राजधानी दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर दिल्ली सरकार ने ताबड़तोड़ और सख्त फैसले लेने शुरू कर दिए हैं। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में सरकार ने साफ संकेत दिया है कि अब प्रदूषण फैलाने वालों के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई जाएगी। 22 दिसंबर 2025 को दिल्ली सचिवालय में आयोजित एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में पर्यावरण, परिवहन और यातायात से जुड़े कई अहम निर्णय लिए गए, जिनका सीधा असर आम नागरिकों, वाहन चालकों और सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था पर पड़ने वाला है।
इस बैठक की अध्यक्षता स्वयं मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने की, जिसमें पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा, परिवहन विभाग, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC), लोक निर्माण विभाग (PWD) और यातायात पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। बैठक का मुख्य एजेंडा राजधानी में प्रदूषण के बढ़ते स्तर पर नियंत्रण और यातायात व्यवस्था को अधिक पर्यावरण-अनुकूल बनाना रहा।
PUC चालान पर सख्ती, कोई रियायत नहीं
मुख्यमंत्री ने सबसे कड़ा रुख उन वाहनों के खिलाफ अपनाया, जो बिना वैध प्रदूषण जांच प्रमाणपत्र (PUC) के सड़कों पर दौड़ रहे हैं। वर्तमान में ऐसे वाहनों पर 10,000 रुपये तक के भारी जुर्माने का प्रावधान है, लेकिन सरकार के संज्ञान में यह बात आई कि कई वाहन मालिक लोक अदालत के जरिए इस चालान को बेहद कम करवा लेते हैं। इससे दंड का डर खत्म हो जाता है और लोग प्रदूषण नियंत्रण को गंभीरता से नहीं लेते।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दो टूक शब्दों में कहा कि अब PUC चालान किसी भी हाल में माफ नहीं किया जाएगा। जरूरत पड़ी तो सरकार अदालत का दरवाजा भी खटखटाएगी, लेकिन प्रदूषण फैलाने वालों को किसी प्रकार की राहत नहीं दी जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार का उद्देश्य राजस्व बढ़ाना नहीं, बल्कि दिल्लीवासियों को शुद्ध और स्वच्छ हवा उपलब्ध कराना है।
ओला-उबर के साथ ई-बस सेवा पर मंथन
प्रदूषण कम करने के लिए सरकार निजी क्षेत्र की भागीदारी को भी बढ़ावा देना चाहती है। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री ने संकेत दिए कि जल्द ही ओला और उबर जैसी एग्रीगेटर कंपनियों के साथ बातचीत शुरू की जाएगी। योजना यह है कि ये कंपनियां पूल और शेयर मॉडल पर इलेक्ट्रिक या प्रदूषण-मुक्त बस सेवाएं शुरू करें।
सरकार का मानना है कि यदि निजी कंपनियां ई-बस सेवा में उतरती हैं, तो सड़कों पर निजी वाहनों की संख्या कम होगी, जिससे न केवल ट्रैफिक जाम घटेगा बल्कि प्रदूषण में भी उल्लेखनीय कमी आएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली को जीरो उत्सर्जन शहर बनाने की दिशा में यह एक अहम कदम साबित हो सकता है।
ई-रिक्शा के लिए नई गाइडलाइन
दिल्ली की सड़कों पर अनियंत्रित ई-रिक्शा संचालन भी जाम और प्रदूषण का बड़ा कारण बन चुका है। मुख्यमंत्री ने इस समस्या को गंभीर मानते हुए घोषणा की कि सरकार जल्द ही नई ई-रिक्शा गाइडलाइन जारी करेगी। इन गाइडलाइंस के तहत ई-रिक्शा के संचालन क्षेत्र, रूट और संख्या को व्यवस्थित किया जाएगा।
सरकार का तर्क है कि ट्रैफिक जाम के कारण वाहनों को अधिक समय तक सड़क पर रुकना पड़ता है, जिससे ईंधन की खपत बढ़ती है और प्रदूषण भी ज्यादा होता है। नई व्यवस्था से यातायात सुचारु रहेगा और पर्यावरण पर दबाव कम पड़ेगा।
DTC बसों की पहुंच बढ़ाने पर जोर
सार्वजनिक परिवहन को मजबूत किए बिना प्रदूषण पर काबू पाना संभव नहीं है। इसी सोच के तहत सरकार ने दिल्ली परिवहन निगम (DTC) की बस सेवाओं के रूट को युक्तिसंगत करने का फैसला लिया है। मुख्यमंत्री के अनुसार, डीटीसी बसों की पहुंच दिल्ली के हर इलाके और हर गली तक होनी चाहिए।
रूटों के वैज्ञानिक पुनर्गठन से अंतिम छोर तक कनेक्टिविटी बेहतर होगी, जिससे लोग निजी वाहनों के बजाय सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित होंगे। इससे ट्रैफिक और प्रदूषण—दोनों पर सकारात्मक असर पड़ेगा।
सरकार का स्पष्ट संदेश
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सभी विभागों को आपसी समन्वय के साथ काम करने और इन फैसलों को तत्काल प्रभाव से लागू करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार प्रदूषण के खिलाफ एक व्यापक और बहुआयामी लड़ाई लड़ रही है।
सरकार न केवल सार्वजनिक परिवहन को आधुनिक और पर्यावरण-अनुकूल बना रही है, बल्कि नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई भी सुनिश्चित कर रही है। मुख्यमंत्री ने दोहराया कि दिल्ली को स्वच्छ, स्वस्थ और हरा-भरा बनाने के लिए उनकी सरकार किसी भी कड़े फैसले से पीछे नहीं हटेगी।