कटहल—स्वाद में लाजवाब और सेहत में बेमिसाल! जानिए क्यों बढ़ रही है इसकी लोकप्रियता
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कटहल फाइबर, विटामिन C और पोटैशियम से भरपूर सुपरफूड.
शाकाहारी और वीगन लोगों के लिए बेहतरीन “वेज मीट” विकल्प.
सही मसालों के साथ पकाने पर पाचन और सेहत दोनों के लिए लाभकारी.
AGCNN / आज के दौर में जब लोग पौष्टिक, सस्ता और सस्टेनेबल भोजन तलाश रहे हैं, तब कटहल (Jackfruit) एक बार फिर रसोई और पोषण विशेषज्ञों की पसंद बनता जा रहा है। आयुर्वेद से लेकर आधुनिक न्यूट्रिशन साइंस तक, कटहल की सब्जी को ताकत, तृप्ति और संतुलन का भोजन माना गया है। लंबे समय तक उपेक्षित रहा यह फल अब “वेज मीट” के रूप में भी पहचान बना रहा है। आइए जानते हैं कि कटहल क्यों खास है, इसमें कौन-कौन से पोषक तत्व पाए जाते हैं, इसके सिद्ध फायदे क्या हैं और किन लोगों को इसका सेवन सावधानी से करना चाहिए।
कटहल का स्वाद और बनावट इसे अन्य सब्जियों से अलग बनाती है। कच्चे कटहल की रेशेदार बनावट और मसालों को सोख लेने की क्षमता के कारण इसे बिरयानी, पुलाव, टिक्का, कबाब और सब्जी के रूप में खूब पसंद किया जाता है। पकने पर यह नरम, रसीला और सुगंधित हो जाता है, जिससे यह पारंपरिक और आधुनिक दोनों तरह के व्यंजनों में आसानी से फिट हो जाता है। इसी वजह से शाकाहारी और वीगन समुदाय में इसे मांस के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है।
पोषण की दृष्टि से कटहल एक संपूर्ण आहार के करीब माना जाता है। 100 ग्राम कच्चे कटहल में लगभग 95 किलो कैलोरी ऊर्जा, 23 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 1.5–2 ग्राम फाइबर, करीब 1.7 ग्राम प्रोटीन और बहुत कम मात्रा में वसा पाई जाती है। इसके अलावा इसमें पोटैशियम, विटामिन C, विटामिन B6, मैग्नीशियम और आयरन जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व मौजूद होते हैं। यह संयोजन शरीर को ऊर्जा देने के साथ-साथ पाचन और प्रतिरक्षा तंत्र को भी मजबूत करता है।
आयुर्वेद के अनुसार कटहल गुरु यानी भारी और स्निग्ध गुण वाला माना गया है। सही मसालों और विधि से पकाने पर यह वात को शांत करता है और शरीर को बल प्रदान करता है। हालांकि, कमजोर पाचन या गैस की समस्या वाले लोगों को इसकी मात्रा सीमित रखने की सलाह दी जाती है। अदरक, जीरा, हींग और काली मिर्च जैसे मसालों के साथ पकाने से कटहल का पाचन आसान हो जाता है और भारीपन कम होता है।
कटहल के प्रमाणित फायदों की बात करें तो सबसे बड़ा लाभ शुगर कंट्रोल में देखा गया है। रिसर्च के अनुसार कच्चे कटहल का ग्लाइसेमिक इंडेक्स अपेक्षाकृत कम होता है, जिससे यह रक्त शर्करा को अचानक नहीं बढ़ाता। सही मात्रा और संतुलित भोजन के साथ लिया जाए तो यह डायबिटीज प्रबंधन में सहायक हो सकता है। वहीं, इसमें मौजूद पोटैशियम हृदय स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है। यह सोडियम के प्रभाव को संतुलित कर ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में मदद करता है, जिससे हार्ट अटैक का खतरा कम हो सकता है।
कटहल में पाए जाने वाले फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स पाचन तंत्र को मजबूत करते हैं। यह आंतों की सफाई में मदद करता है और टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है, जिससे कोलन कैंसर का जोखिम कम हो सकता है। इसके अलावा विटामिन A और C का मेल त्वचा और आंखों के लिए फायदेमंद माना जाता है। नियमित और संतुलित सेवन से त्वचा में चमक आती है और आंखों की रोशनी को सहारा मिलता है।
स्वस्थ तरीके से कटहल खाने के लिए कुछ प्रो-टिप्स भी जरूरी हैं। इसे प्रेशर कुकर, स्लो-कुक या अच्छी तरह गलाकर पकाना चाहिए ताकि पाचन आसान रहे। सरसों या तिल के तेल में पकाने से आयुर्वेदिक संगति बेहतर मानी जाती है। प्रोटीन सपोर्ट के लिए चना, राजमा या सोया के साथ इसे पकाया जा सकता है। सामान्य तौर पर 100 से 150 ग्राम मात्रा पर्याप्त मानी जाती है, जबकि रात में इसकी मात्रा कम रखना बेहतर होता है।
हालांकि, हर खाद्य पदार्थ की तरह कटहल भी सभी के लिए समान रूप से उपयुक्त नहीं है। कमजोर पाचन, अत्यधिक गैस की समस्या वाले लोगों को अधिक मात्रा से बचना चाहिए। डायबिटीज के मरीजों को इसे कार्बोहाइड्रेट मानकर पोर्शन कंट्रोल के साथ लेना चाहिए। कुछ लोगों में लेटेक्स सेंसिटिविटी के कारण एलर्जी या क्रॉस-रिएक्शन की संभावना भी हो सकती है, इसलिए पहली बार सेवन करते समय सतर्कता जरूरी है।
एक दिलचस्प तथ्य यह है कि कटहल दुनिया का सबसे बड़ा पेड़ पर लगने वाला फल है और कई बार एक फल का वजन 30 से 50 किलो तक हो सकता है। कई देशों में इसे सस्टेनेबल मीट-अल्टरनेटिव माना जा रहा है क्योंकि इसकी यील्ड अधिक होती है और यह लंबे समय तक ऊर्जा प्रदान करता है। सही मसालों के बिना यह भारी लग सकता है, लेकिन मसाले ही इसकी असली कुंजी हैं।
कुल मिलाकर, कटहल स्वाद, पोषण और स्वास्थ्य का ऐसा संतुलन पेश करता है, जो आज के समय की जरूरतों के अनुरूप है। सही मात्रा, सही विधि और संतुलित आहार के साथ कटहल को अपनाकर सेहतमंद जीवन की दिशा में एक मजबूत कदम बढ़ाया जा सकता है।