New Delhi में WHO का दूसरा वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा शिखर सम्मेलन 17-19 दिसंबर
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डब्ल्यूएचओ और आयुष मंत्रालय द्वारा आयोजित शिखर सम्मेलन पारंपरिक चिकित्सा को वैश्विक स्वास्थ्य प्रणालियों में साक्ष्य-आधारित रूप से एकीकृत करने पर केंद्रित होगा।
100 से अधिक देशों की भागीदारी के साथ यह आयोजन विज्ञान, नवाचार, शासन और स्वदेशी ज्ञान के बीच संतुलन को मजबूत करेगा।
25 से अधिक सत्रों और 170 विशेषज्ञ वक्ताओं के माध्यम से पारंपरिक चिकित्सा के भविष्य पर वैश्विक सहमति बनाने का प्रयास किया जाएगा।
नई दिल्ली/ विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) 17 से 19 दिसंबर 2025 तक नई दिल्ली में दूसरे वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा शिखर सम्मेलन का आयोजन करेगा। इस अंतरराष्ट्रीय आयोजन का सह-आयोजन भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है। शिखर सम्मेलन के दौरान स्वास्थ्य और कल्याण पर एक व्यापक वैश्विक संवाद भी आयोजित होगा, जिसमें दुनिया भर से नीति-निर्माता, वैज्ञानिक, चिकित्सक, स्वदेशी ज्ञान धारक और नागरिक समाज के प्रतिनिधि भाग लेंगे।
इस शिखर सम्मेलन का मुख्य विषय “संतुलन की बहाली: स्वास्थ्य और कल्याण का विज्ञान और अभ्यास” रखा गया है। वर्तमान समय में जब वैश्विक स्वास्थ्य प्रणालियाँ असमानताओं, पर्यावरणीय दबावों और बढ़ती दीर्घकालिक बीमारियों से जूझ रही हैं, तब यह सम्मेलन पारंपरिक चिकित्सा की प्रासंगिकता को पुनः स्थापित करने और विज्ञान व साक्ष्य आधारित दृष्टिकोण के साथ इसकी भूमिका को सुदृढ़ करने पर केंद्रित होगा।
2023 में गुजरात के गांधीनगर में आयोजित पहले वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा शिखर सम्मेलन की सफलता को आगे बढ़ाते हुए, नई दिल्ली में होने वाला यह आयोजन वैश्विक स्वास्थ्य एजेंडा में पारंपरिक चिकित्सा को एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में स्थापित करने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है। यह शिखर सम्मेलन डब्ल्यूएचओ की वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा रणनीति 2025–2034 के अनुरूप आयोजित किया जा रहा है।
सम्मेलन की शुरुआत संतुलन की बहाली पर एक उच्च स्तरीय पूर्ण सत्र से होगी, जिसमें ज्ञान, पहुंच, शासन और वैश्विक स्वास्थ्य में असंतुलन के कारणों पर चर्चा की जाएगी। विशेषज्ञ यह विचार करेंगे कि वैज्ञानिक सटीकता, न्यायसंगत शासन, जैव विविधता संरक्षण, स्वदेशी अधिकार और विविध ज्ञान प्रणालियाँ मिलकर एक अधिक लचीली और समावेशी वैश्विक स्वास्थ्य व्यवस्था कैसे बना सकती हैं।
दूसरे दिन विज्ञान और नवाचार पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इस दौरान शोध, निरंतर वित्त पोषण, नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र और अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक सहयोग की भूमिका पर विचार-विमर्श होगा। चर्चाओं में यह रेखांकित किया जाएगा कि पारंपरिक चिकित्सा को सतत विकास और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज का प्रभावी हिस्सा बनाने के लिए साक्ष्य-आधारित निवेश कितना आवश्यक है।
सम्मेलन के अन्य सत्रों में स्वास्थ्य प्रणालियों की पुनर्कल्पना, नियामक ढांचे, गुणवत्ता आश्वासन, डिजिटल प्रौद्योगिकियों और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के जिम्मेदार उपयोग, मानकीकृत आंकड़ों तथा जवाबदेही पर चर्चा होगी। तीन दिनों में 25 से अधिक सत्र आयोजित किए जाएंगे, जिनमें 170 से अधिक विशेषज्ञ वक्ता भाग लेंगे और 21 चयनित नवाचारों को प्रस्तुत किया जाएगा।
100 से अधिक देशों की भागीदारी के साथ, यह शिखर सम्मेलन हाइब्रिड प्रारूप में आयोजित होगा। सम्मेलन से नई पहलों, वैश्विक सहयोगों और नीतिगत प्रतिबद्धताओं की घोषणा होने की उम्मीद है, जो पारंपरिक चिकित्सा के माध्यम से अधिक समग्र, न्यायसंगत और टिकाऊ वैश्विक स्वास्थ्य भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेंगी।