महाराष्ट्र दौरे पर शिवराज सिंह चौहान, किसानों और ग्रामीण विकास पर रहेगा फोकस
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शिवराज सिंह चौहान का महाराष्ट्र दौरा किसानों की आय वृद्धि, प्राकृतिक खेती और एफपीओ के माध्यम से संगठित कृषि को नई दिशा देगा।
कृषि विज्ञान केंद्रों और विश्वविद्यालय संवाद से कृषि शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखा गया है।
महाराष्ट्र/ केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान 31 दिसंबर 2025 से 2 जनवरी 2026 तक महाराष्ट्र के अहिल्यानगर (अहमदनगर) और नासिक जिलों के व्यापक दौरे पर रहेंगे। यह दौरा किसानों, ग्रामीण विकास, महिला सशक्तिकरण और युवाओं के लिए नए अवसरों को समर्पित है, जिसके माध्यम से केंद्र सरकार की किसान एवं ग्रामीण हितैषी नीतियों को जमीनी स्तर तक पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा।
31 दिसंबर को श्री चौहान अहिल्यानगर में बाभलेश्वर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र का दौरा करेंगे। यहां वे कृषक समूहों और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के प्रतिनिधियों से संवाद करेंगे। इस दौरान फसल विविधिकरण, प्राकृतिक खेती, आधुनिक कृषि तकनीक, सिंचाई, जल-संरक्षण, फसल बीमा और बाजार तक बेहतर पहुंच जैसे विषयों पर विस्तृत चर्चा होगी। केंद्रीय मंत्री किसानों की आय बढ़ाने और मूल्य संवर्धन को बढ़ावा देने पर विशेष जोर देंगे।
1 जनवरी 2026 को नववर्ष के अवसर पर श्री चौहान पौधारोपण करेंगे और प्रातः 10 से 11 बजे तक अपने दोनों मंत्रालयों के अधिकारियों को वर्चुअल संबोधन कर 2026 के लिए सेवा, संकल्प और परिणामोन्मुखी कार्यशैली का संदेश देंगे। दोपहर बाद वे ग्राम लोणी बुदरुक में आयोजित ग्राम सभा कार्यक्रम में भाग लेंगे, जहां ग्रामीणों, श्रमिकों और महिलाओं से सीधे संवाद कर ग्रामीण विकास योजनाओं के प्रभाव और जरूरतों की समीक्षा करेंगे।
2 जनवरी को नासिक में यशवंतराव चव्हाण महाराष्ट्र मुक्त विश्वविद्यालय (YCMOU) के कृषि विज्ञान केंद्र में केंद्रीय मंत्री का प्रमुख कार्यक्रम प्रस्तावित है। यहां वे कुलपति और वरिष्ठ अधिकारियों से भेंट के बाद औपचारिक उद्घाटन सत्र में शामिल होंगे। अपने संबोधन में श्री चौहान कृषि शिक्षा, अनुसंधान, नवाचार और युवाओं की भागीदारी पर जोर देंगे। प्रश्नोत्तर और इंटरैक्टिव सत्र के माध्यम से विद्यार्थियों और शोधार्थियों से संवाद कर वे कृषि क्षेत्र में करियर और उद्यमिता के नए अवसरों पर प्रकाश डालेंगे।
यह दौरा केंद्र सरकार की “किसान-ग्रामीण प्रथम” नीति को मजबूती देते हुए विकसित भारत के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।