प्रशासन का कहना है कि नए साल के मौके पर हर दिन करीब 4 से 5 लाख श्रद्धालु वृंदावन पहुंच रहे हैं, जबकि 31 दिसंबर और 1 जनवरी को यह संख्या और भी बढ़ सकती है। मंदिर परिसर अपेक्षाकृत छोटा है और एक साथ लाखों लोगों का सुरक्षित तरीके से दर्शन कर पाना संभव नहीं होता। दर्शन की चाह में श्रद्धालु आगे बढ़ने लगते हैं, जिससे धक्का-मुक्की और भारी दबाव जैसी स्थिति बन जाती है। ऐसे हालात कमजोर, बुजुर्ग और अस्वस्थ लोगों के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं।
इसी कारण प्रशासन ने 29 दिसंबर से 5 जनवरी तक श्रद्धालुओं से श्री बांके बिहारी मंदिर न आने की अपील की है। अधिकारियों का कहना है कि अगर दर्शन बेहद जरूरी न हों, तो कुछ दिन बाद यात्रा की योजना बनाना ही बेहतर होगा। नए साल के बाद भी बिहारी जी के दर्शन उतनी ही श्रद्धा और शांति के साथ किए जा सकते हैं।
भारी भीड़ के कारण दर्शन भी ठीक से नहीं हो पाते। सुरक्षा के लिहाज से सुरक्षाकर्मी श्रद्धालुओं को लगातार आगे बढ़ाते रहते हैं, जिससे भगवान के सामने रुककर हाथ जोड़ने या मन से प्रार्थना करने का मौका मुश्किल से कुछ सेकेंड का ही मिल पाता है। कई बार गर्मी, उमस या अचानक धक्का लगने से लोगों को चक्कर आना, घबराहट या थकान जैसी समस्याएं हो जाती हैं।
इसके अलावा भीड़ में मोबाइल, पर्स, चश्मा या जूते खोने की घटनाएं भी सामने आती रहती हैं। मंदिर के नियमों के अनुसार कई वस्तुएं अंदर ले जाने की अनुमति नहीं होती, जिससे श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। ट्रैफिक जाम भी एक बड़ी समस्या बन जाता है, जिससे बच्चों और बुजुर्गों को और अधिक दिक्कत होती है।
प्रशासन और मथुरा पुलिस की साफ अपील है कि वृंदावन घूमने और दर्शन के लिए यह समय थोड़ा टाल दें। यह स्थान परिवार के साथ घूमने के लिए बेहद सुंदर और आध्यात्मिक है, लेकिन फिलहाल भीड़ को देखते हुए नए साल के बाद यहां आना ज्यादा सुरक्षित और सुखद रहेगा। श्रद्धा के साथ-साथ अपनी और अपनों की सुरक्षा का ध्यान रखना भी उतना ही जरूरी है।