शंघाई में भारत के नए वाणिज्य दूतावास भवन का उद्घाटन, 32 साल बाद बड़ा बदलाव
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शंघाई में भारत का नया, दोगुने आकार का वाणिज्य दूतावास भवन.
32 साल बाद नए परिसर में स्थानांतरण, सेवाएं और मजबूत.
उद्घाटन में 400 से अधिक गणमान्य लोगों की उपस्थिति.
Delhi / भारत ने शंघाई में अपने नए और अत्याधुनिक वाणिज्य दूतावास भवन का उद्घाटन कर एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है। यह बदलाव 32 साल बाद हुआ है, जब भारत ने पहली बार अपने वाणिज्य दूतावास को नए स्थान पर स्थानांतरित किया है। चीन के मुख्य व्यापारिक केंद्र शंघाई में स्थित यह वाणिज्य दूतावास पूर्वी चीन में तेजी से बढ़ते भारतीय व्यापारिक समुदाय के लिए बेहद अहम माना जाता है। खासकर यिवू जैसे प्रमुख केंद्रों में बड़ी संख्या में भारतीय व्यापारी सक्रिय हैं, जिन्हें यह वाणिज्य दूतावास लगातार सहायता प्रदान करता है।
नया दूतावास चांगनिंग जिले के प्रमुख डॉनिंग सेंटर में बनाया गया है और इसका क्षेत्रफल 1,436.63 वर्ग मीटर है। यह आकार पिछले वाणिज्य दूतावास से दोगुने से भी ज्यादा है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारत ने अपनी सेवाओं को और मजबूत तथा आधुनिक बनाने पर खास ध्यान दिया है। इस नए भवन का उद्घाटन चीन में भारत के राजदूत प्रदीप कुमार रावत ने किया। दूतावास के अनुसार, आठ दिसंबर से यहाँ से पूरी तरह सेवाएँ शुरू हो जाएंगी।
राजदूत रावत ने इस अवसर को बेहद खास बताया क्योंकि इस वर्ष भारत और चीन अपने राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। उन्होंने कहा कि तीन दशकों के अंतराल के बाद नया वाणिज्य दूतावास भवन भारतीय समुदाय के प्रति भारत की बढ़ती प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
उद्घाटन समारोह में 400 से अधिक गणमान्य लोग उपस्थित थे। इसमें शंघाई नगर सरकार के प्रतिनिधि, कई शहरों—शंघाई, हांग्जो, निंगबो, सूझोउ, नानजिंग, यिवू और केकियाओ—के भारतीय समुदाय के लोग भी शामिल थे। इतने बड़े स्तर पर उपस्थित जनसमूह यह दर्शाता है कि भारतीय समुदाय के लिए यह नया दूतावास कितना महत्वपूर्ण है।
महावाणिज्य दूत प्रतीक माथुर ने भी इस मौके पर अपनी बात रखते हुए कहा कि दूतावास भारतीय नागरिकों और चीनी साझेदारों के लिए निर्बाध और सुचारु सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि नए भवन के साथ दूतावास की क्षमता और भी मजबूत होगी और दोनों देशों के बीच संबंधों के नए द्वार खुलेंगे।
यह कदम न केवल प्रशासनिक सुविधा बढ़ाएगा बल्कि भारत-चीन संबंधों में एक सकारात्मक संकेत भी भेजता है।