अमेरिका-रूस तनाव के बीच पुतिन का भारत दौरा, रक्षा-ऊर्जा पर बड़े फैसले संभव
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Putin की भारत यात्रा में ऊर्जा सुरक्षा, रक्षा खरीद और व्यापार विस्तार प्रमुख मुद्दे होंगे, जिन पर दोनों देश बदलते भू-राजनीतिक माहौल में रणनीतिक सहमति बनाएंगे।
अमेरिका-रूस तनाव के बीच भारत अपने संतुलन को बनाए रखते हुए बहुध्रुवीय कूटनीति को मजबूत करने की कोशिश करेगा, जिससे वैश्विक शक्ति समीकरण प्रभावित होंगे।
Su-57, S-500 रक्षा सौदों, तेल व्यापार और भारतीय श्रमिकों की रूस में बढ़ती मांग पर बड़े समझौते होने की संभावना है।
नई दिल्ली/ रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का आगामी भारत दौरा अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के बेहद संवेदनशील समय में हो रहा है। यह दौरा सिर्फ रूस और भारत के बीच पारंपरिक रणनीतिक संबंधों का प्रतीक नहीं, बल्कि बदलते वैश्विक समीकरणों के बीच नई दिल्ली के संतुलन साधने की क्षमता की बड़ी परीक्षा भी है। यह पहला अवसर होगा जब रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद पुतिन भारत में कदम रखेंगे, और इसलिए दोनों देशों के बीच होने वाली वार्ताओं पर दुनिया की नजरें बनी हुई हैं।
इस दौरे का उद्देश्य व्यापार, रक्षा सहयोग, ऊर्जा सुरक्षा, कूटनीतिक संवाद और वैश्विक शक्ति संतुलन जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों के संबंधों को एक नए मुकाम पर ले जाना है। पुतिन इससे पहले 2021 में भारत आए थे और उसके बाद रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण अंतरराष्ट्रीय हालात काफी बदल चुके हैं।
भारत का जटिल संतुलन
भारत एक ऐसी स्थिति में है जहां उसे अमेरिका और रूस दोनों के साथ अपने रिश्ते संतुलित रखने हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा रूस के खिलाफ बढ़ाए गए प्रतिबंध, भारत पर लगाए गए टैरिफ, चीनी गतिविधियों को लेकर बढ़ती चिंताएं और क्षेत्रीय सुरक्षा-ये सभी कारक भारत की विदेश नीति को और जटिल बनाते हैं।
भारत अमेरिकी बाजार, तकनीक और सुरक्षा सहयोग पर निर्भर है, वहीं रूस उसकी रक्षा प्रणाली का सबसे बड़ा स्रोत और ऊर्जा साझेदार बना हुआ है। इसलिए, पुतिन की यह यात्रा भारत की बहुध्रुवीय विदेश नीति का अहम हिस्सा है।
ऊर्जा व्यापार और तेल संकट पर चर्चा
रूस से कच्चे तेल की खरीद 2022 के बाद रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी। भारत रूसी तेल पर मिलने वाली भारी छूट का फायदा उठा रहा था, लेकिन हाल में ट्रंप प्रशासन द्वारा रूस की प्रमुख तेल कंपनियों पर लगाए गए प्रतिबंध और भारत पर शुल्क दोगुना करने के निर्णय ने स्थिति को चुनौतीपूर्ण बना दिया है।
रूस अब भारत को फिर से बड़े पैमाने पर तेल खरीद के लिए आकर्षित करना चाहता है, जबकि भारत को अपनी ऊर्जा जरूरतें पूरी करने के साथ-साथ अमेरिकी कार्रवाई से भी बचना है। यह मुद्दा मोदी-पुतिन वार्ता का केंद्र रहेगा।
रक्षा समझौते: Su-57 और S-500 पर नज़र
भारत रूस से Su-57 लड़ाकू विमान और उन्नत S-500 एंटी-मिसाइल सिस्टम खरीदने में रुचि दिखा रहा है। ये हथियार भारत की सुरक्षा क्षमता को बड़ा बढ़ावा दे सकते हैं, लेकिन अमेरिकी प्रतिबंध और रूस की युद्धकालीन जरूरतें इस सौदे को कठिन बना सकती हैं।
भारत पहले ही रूस से 200 से ज्यादा फाइटर जेट और कई एयर-डिफेंस सिस्टम खरीद चुका है। इस यात्रा में रक्षा सहयोग पर कई समझौते होने की संभावना है।
अन्य प्रमुख एजेंडे
1. व्यापार को 100 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य
दोनों देश 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 68 अरब डॉलर से बढ़ाकर 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने की योजना बना रहे हैं।
2. भारतीय श्रमिकों को रूस में काम का अवसर
मोबिलिटी समझौते के तहत भारत से कुशल श्रमिकों को रूस भेजने पर सहमति की संभावना है।
3. कृषि और समुद्री उत्पादों पर बड़े समझौते
भारत रूस को अधिक कृषि और मरीन प्रोडक्ट निर्यात करना चाहता है, ताकि अमेरिका द्वारा बढ़ाए गए आयात शुल्क से हुए नुकसान की भरपाई हो सके।
पुतिन का कार्यक्रम (4–5 दिसंबर)
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4 दिसंबर शाम: दिल्ली आगमन
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पीएम मोदी द्वारा निजी डिनर
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राष्ट्रपति भवन में औपचारिक स्वागत, गार्ड ऑफ ऑनर
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राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि
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स्टेट बैंक्वेट में शामिल होना
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5 दिसंबर देर रात रूस के लिए प्रस्थान