डिजिटल सुरक्षा होगी मजबूत सरकार का बड़ा एक्शन : टेलीकॉम साइबर सुरक्षा नियम 2025 लागू, पहचान, सुरक्षा और डिवाइस वेरिफिकेशन को मिली मजबूती
ताजा खबरों से अपडेट रहने के लिए हमारे Whatsapp Channel को Join करें |
संशोधित TCS नियम मोबाइल नंबर सत्यापन, IMEI स्क्रबिंग और TIUE डेटा-शेयरिंग के माध्यम से भारत की डिजिटल सुरक्षा को मजबूत बनाने का आधार तैयार करते हैं। दूरसंचार विभाग ने स्पष्ट किया कि 22 अक्टूबर 2025 को नोटिफाई किए गए TCS Amendment Rules पूरी तरह लागू हैं और उपयोग के योग्य हैं।
भारत ने टेलीकॉम साइबर सुरक्षा नियम 2025 लागू किए। मोबाइल वेरिफिकेशन, IMEI स्क्रबिंग और TIUE ढाँचे से डिजिटल पहचान सुरक्षा व फ्रॉड रोकथाम होगी मजबूत।
नई दिल्ली / दूरसंचार विभाग (DoT) ने दूरसंचार साइबर सुरक्षा (Telecommunication Cyber Security) नियम 2024 में संशोधन कर 2025 के लिए तैयार किए गए नए ढाँचे को औपचारिक रूप से लागू करने की घोषणा की है। यह कदम भारत के तेजी से विस्तार लेते डिजिटल नेटवर्क, बढ़ते ऑनलाइन लेन-देन और टेलीकॉम पहचान के व्यापक उपयोग को सुरक्षित बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है। विभाग ने यह स्पष्ट कर दिया है कि 22 अक्टूबर 2025 को जी.एस.आर 771(ई) के तहत नोटिफाई किए गए टेलीकम्युनिकेशन साइबर सिक्योरिटी अमेंडमेंट रूल्स, 2025 पूरी तरह लागू हैं और प्रभावी रूप से अमल में लाए जा सकते हैं।
यह संशोधन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि मोबाइल नंबर, IMEI, IP पहचान और टेलीकॉम ऑथेंटिकेशन आज बैंकिंग, ई-कॉमर्स, डिजिटल गवर्नेंस और नागरिक सेवाओं के केंद्रीय स्तंभ बन चुके हैं। इन्हीं डिजिटल कार्यों में आई गंभीर सुरक्षा खामियों को दूर करने के लिए इन नियमों में कई नए प्रावधान शामिल किए गए हैं।
मोबाइल नंबर वेरिफिकेशन (MNV) प्लेटफ़ॉर्म का औपचारिक प्रवेश
देश में तेजी से बढ़ती वित्तीय धोखाधड़ी, पेमेंट फ्रॉड, म्यूल बैंक अकाउंट और फर्जी KYC खातों में मोबाइल नंबरों की गलत लिंकिंग एक मुख्य कारण साबित हो रही है। इस समस्या से निपटने के लिए संशोधित नियमों में MNV प्लेटफ़ॉर्म को कानूनी रूप से शामिल किया गया है।
यह प्लेटफ़ॉर्म सेवा प्रदाताओं को यह सत्यापित करने में सक्षम बनाएगा कि किसी सेवा में दर्ज मोबाइल नंबर वास्तव में उसी उपयोगकर्ता का है या नहीं। इससे डिजिटल लेन-देन पर भरोसा बढ़ेगा और पहचान धोखाधड़ी पर नियंत्रण मिलेगा।
सेकंड-हैंड मोबाइल बाजार की निगरानी – IMEI स्क्रबिंग अनिवार्य
भारत में रीसेल और रिफर्बिश्ड मोबाइल डिवाइसों का बाजार बहुत बड़ा है, लेकिन चोरी हुए, ब्लैकलिस्टेड या IMEI-क्लोन किए हुए फोन आसानी से इस बाजार में घुस जाते हैं।
नए नियमों के अनुसार-
-
रीसेलर्स
-
रिफर्बिश्ड स्टोर
-
ऑनलाइन री-मार्केट प्लेटफ़ॉर्म
को अब हर डिवाइस का IMEI केंद्रीय डेटाबेस से स्क्रबिंग (जांच) करना अनिवार्य होगा।
यह उपभोक्ताओं को सुरक्षित खरीदारी का भरोसा देगा और पुलिस एजेंसियों को चोरी के फोन ट्रैक करने में मदद करेगा।
TIUE (Telecom Identifier User Entity) की नई जिम्मेदारियाँ
कई सेक्टर बैंकिंग, ई-कॉमर्स, फिनटेक, बीमा, परिवहन ऑथेंटिकेशन के लिए टेलीकॉम पहचान का उपयोग करते हैं। इसलिए नियमों में TIUE की स्पष्ट परिभाषा जोड़ी गई है।
TIUE को विशेष परिस्थितियों में सरकार को आवश्यक टेलीकॉम पहचान-आधारित डेटा साझा करना होगा ताकि-
-
साइबर फ्रॉड रोका जा सके
-
स्रोत और दुरुपयोग ट्रेस हो सके
-
राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूती मिले
साथ ही डेटा संरक्षण मानकों का पूर्ण पालन भी सुनिश्चित रहेगा।
गजट की गलती पर स्पष्टीकरण – नियम वैध और प्रभावी
अक्टूबर 2025 में DoT ने अमेंडमेंट रूल्स को दो बार गलती से प्रकाशित कर दिया था-
-
पहली बार: GSR 771(E) – 22.10.2025 (यह वैध है)
-
दूसरी बार: GSR 796(E) – 29.10.2025 (गलती से दोबारा प्रकाशित)
दूरसंचार विभाग ने 25 नवंबर 2025 को GSR 863(E) जारी कर इस त्रुटि को रद्द कर दिया। स्पष्ट किया कि मूल संशोधन पूरी तरह वैध हैं।
भारत के डिजिटल भविष्य के लिए बड़ा कदम
ये सभी बदलाव-
-
टेलीकॉम से जुड़े साइबर फ्रॉड
-
डिवाइस ट्रैकिंग
-
पहचान की सत्यता
-
राष्ट्रीय सुरक्षा
को मजबूत करते हुए भारत को एक सुरक्षित डिजिटल अर्थव्यवस्था की दिशा में आगे ले जाते हैं।
सरकार यह साफ करती है और दोहराती है कि टेलीकम्युनिकेशन साइबर सिक्योरिटी अमेंडमेंट रूल्स, 2025, जिन्हें शुरू में जी एस आर 771(ई) के तहत 22.10.2025 को नोटिफ़ाई किया गया था, अभी भी लागू हैं और लागू किए जा सकते हैं।