Make-in-India से बनी भारत की ताकत: Rajnath Singh का Vision और AMCA Project का Future

Thu 29-May-2025,07:24 PM IST +05:30

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Make-in-India से बनी भारत की ताकत: Rajnath Singh का Vision और AMCA Project का Future Operation Sindoor में Make-in-India की सफलता से लेकर AMCA Fighter Jet Project तक, Raksha Mantri Rajnath Singh ने बताया कैसे भारत बन रहा है आत्मनिर्भर और globally शक्तिशाली।
  • ऑपरेशन सिंदूर में मेक-इन-इंडिया की निर्णायक भूमिका।

  • एएमसीए प्रोजेक्ट में निजी क्षेत्र की ऐतिहासिक भागीदारी।

  • रक्षा उत्पादन और निर्यात में रिकॉर्ड वृद्धि।

Delhi / Delhi :

29 मई 2025 को नई दिल्ली में भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के वार्षिक व्यापार शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने देश की राष्ट्रीय सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की दिशा में उठाए गए मजबूत कदमों को रेखांकित किया। उन्होंने उद्योगपतियों को संबोधित करते हुए कहा कि "मेक-इन-इंडिया" केवल आर्थिक पहल नहीं, बल्कि यह हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा का एक अनिवार्य घटक बन चुका है। इस पहल ने आतंकवाद के विरुद्ध भारत की कार्रवाइयों, विशेषकर हालिया ऑपरेशन सिंदूर में अहम भूमिका निभाई।

रक्षा मंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के पीछे स्वदेशी रक्षा प्रणालियों की भूमिका को रेखांकित किया और कहा कि यदि भारत ने समय रहते अपनी रक्षा क्षमताएं मजबूत नहीं की होतीं, तो पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ सटीक जवाबी कार्रवाई संभव नहीं थी। उन्होंने कहा कि स्वदेशी प्रणालियों ने यह सिद्ध कर दिया है कि भारत किसी भी दुश्मन के कवच को भेदने में सक्षम है।

रक्षा क्षेत्र में निजी और सार्वजनिक सहभागिता की दिशा में उठाए गए ऐतिहासिक कदमों का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि एएमसीए (एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) कार्यक्रम के अंतर्गत पहली बार निजी क्षेत्र को सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के साथ मिलकर मेगा रक्षा परियोजनाओं में भाग लेने का अवसर मिलेगा। इस पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान परियोजना के तहत पांच प्रोटोटाइप विकसित किए जाएंगे और इसके बाद श्रृंखलाबद्ध उत्पादन होगा। उन्होंने इसे साहसिक और निर्णायक पहल बताया।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पाकिस्तान अब यह समझ चुका है कि आतंकवाद को पालना न तो सस्ता है और न ही व्यावहारिक। भारत ने अपनी रणनीति, जवाबी प्रतिक्रिया और वार्ता की परिभाषा को स्पष्ट कर दिया है—अब वार्ता केवल आतंकवाद और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर पर ही होगी। श्री राजनाथ सिंह ने दृढ़तापूर्वक कहा कि पीओके भारत का अभिन्न हिस्सा है और वहां के लोग एक दिन स्वेच्छा से भारत की ओर लौट आएंगे। उन्होंने इसका भावनात्मक दृष्टांत महाराणा प्रताप के भाई शक्ति सिंह से जोड़ते हुए दिया।

अपने संबोधन में रक्षा मंत्री ने उद्योगपतियों से कंपनी हितों से ऊपर राष्ट्रहित को प्राथमिकता देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यदि कंपनी के हितों की रक्षा आपका "कर्म" है, तो राष्ट्रहित की रक्षा आपका "धर्म" है। उन्होंने भरोसे को राष्ट्र की शक्ति का मूल बताया और कहा कि आज भारत केवल रक्षा तकनीक का उपभोक्ता नहीं, बल्कि उत्पादक और निर्यातक भी बन गया है। उन्होंने बताया कि रक्षा उत्पादन 10 वर्षों में ₹43,000 करोड़ से बढ़कर ₹1,46,000 करोड़ हो गया है और निर्यात ₹600 करोड़ से ₹24,000 करोड़ तक पहुंच गया है।

श्री सिंह ने कहा कि भारत आज मिसाइल, लड़ाकू विमान और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी अगली पीढ़ी की युद्ध तकनीक का विकास कर रहा है और यह दुनिया भर में हमारी तकनीकी श्रेष्ठता का संकेत है। उन्होंने भारतीय उद्योग को 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के मिशन का प्रमुख वाहक बताया और सरकार तथा उद्योग के समन्वय से विश्वास निर्माण को राष्ट्रीय शक्ति का आधार बताया।

सम्मेलन में देश की तीनों सेनाओं के प्रमुख, रक्षा सचिव, डीआरडीओ प्रमुख, और उद्योग क्षेत्र के प्रमुख नेता भी मौजूद रहे।