Uttar Pradesh / Bahraich : Bahraich / उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में बुधवार शाम एक दर्दनाक हादसा हो गया। भारत-नेपाल सीमा के पास बहने वाली कौड़ियाला नदी में एक नाव पलट जाने से गांव में अफरा-तफरी मच गई। इस हादसे में 20 से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं, जबकि चार लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है। घटना की जानकारी मिलते ही जिला प्रशासन, पुलिस, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें मौके पर रवाना हो गईं। डीजीपी मुख्यालय ने भी मामले का संज्ञान लेते हुए राहत एवं बचाव कार्यों की निगरानी शुरू कर दी है।
यह हादसा बहराइच जिले के कतर्नियाघाट वन्य जीव अभयारण्य क्षेत्र के भरथापुर गांव के पास हुआ है। यह इलाका भारत-नेपाल बॉर्डर से सटा हुआ है। जानकारी के अनुसार, भरथापुर गांव के लोग अक्सर लखीमपुर खीरी जिले के खैरटिया गांव तक कौड़ियाला नदी के रास्ते नाव से आवागमन करते हैं, क्योंकि यह उनके लिए सबसे सुविधाजनक मार्ग है। बुधवार शाम करीब छह बजे ग्रामीण खैरटिया गांव से नाव में सवार होकर भरथापुर लौट रहे थे। गांव के पास पहुंचते ही नाव अचानक अनियंत्रित हो गई और नदी में पलट गई। देखते ही देखते कई लोग गहरे पानी में बह गए, जिनमें गांव के निवासी और कुछ मेहमान भी शामिल हैं।
ग्रामीणों ने तत्काल प्रशासन को सूचना दी, जिसके बाद राहत कार्य शुरू किए गए। नदी में तेज बहाव के चलते रेस्क्यू ऑपरेशन में मुश्किलें आ रही हैं। बताया जा रहा है कि हाल ही में घाघरा नदी में जलस्तर बढ़ने के कारण चौधरी चरण सिंह बैराज के गेट खोले गए थे, जिससे कौड़ियाला नदी में भी जल प्रवाह बढ़ गया। अब प्रशासन ने बैराज के गेटों को बंद करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है ताकि नदी का बहाव नियंत्रित किया जा सके।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि हादसा नदी में अचानक बढ़े जलस्तर और तेज बहाव के कारण हुआ। घटना के बाद गांव में मातम का माहौल है। कई परिवार अपने लापता परिजनों की खोज में नदी किनारे जमा हैं। प्रशासन की ओर से गोताखोरों को बुलाया गया है और सर्च ऑपरेशन रातभर जारी रहेगा।
बहराइच के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक ने घटनास्थल का दौरा कर हालात का जायजा लिया है। वहीं डीजीपी मुख्यालय लगातार संपर्क में है और हर पल की जानकारी ली जा रही है। सरकार की ओर से पीड़ित परिवारों को हरसंभव मदद का आश्वासन दिया गया है। यह हादसा एक बार फिर से सवाल उठाता है कि सीमावर्ती इलाकों में ग्रामीणों के लिए सुरक्षित परिवहन के इंतजाम कब तक नहीं होंगे, जहां लोग अब भी अपनी जान जोखिम में डालकर नाव से यात्रा करने को मजबूर हैं।