देर रात की ख़ामोशी अचानक चीख़ों और वाहन के गिरने की तेज़ आवाज़ से टूट गई। स्थानीय लोग तुरंत मौके की ओर भागे और बिना किसी देरी के पुलिस-प्रशासन को सूचना दी। कुछ ही मिनटों में ज्योलीकोट चौकी इंचार्ज श्याम सिंह बोरा अपनी टीम के साथ पहुंच गए। दूसरी ओर, एसडीआरएफ की टीम भी तुरंत घटनास्थल पर जुट गई। रात के अंधेरे, खड़ी ढलान और गहरी खाई के बावजूद रेस्क्यू टीमों ने हिम्मत नहीं हारी। करीब दो घंटे चले रेस्क्यू ऑपरेशन में पुलिस, स्थानीय लोग और एसडीआरएफ ने मिलकर सभी घायलों को खाई से बाहर निकाला।
हर घायल को सावधानी से स्ट्रेचर पर बांधकर ऊपर लाया जा रहा था। हवा में सिर्फ एक ही आवाज गूंज रही थी—“धीरे, संभलकर… मरीज नीचे न फिसले।” यह दृश्य देखकर किसी का भी दिल दहल जाए। रेस्क्यू टीमों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी। सभी घायलों को 108 एंबुलेंस की मदद से हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने दो लोगों को मृत घोषित कर दिया। बाकी घायलों का इलाज जारी है और कई की स्थिति गंभीर बताई जा रही है।
एसपी डॉ. जगदीश चंद्रा ने पुष्टि की कि वाहन में कुल 18 लोग सवार थे, जिनमें सभी दिल्ली के बदरपुर इलाके के रहने वाले थे। यह समूह बाबा नीब करौरी महाराज के दर्शन के लिए कैंची धाम आया हुआ था। दर्शन के बाद लौटते समय यह दर्दनाक हादसा हुआ। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है—क्या वाहन तेज़ रफ्तार में था, क्या सड़क पर फिसलन थी या फिर तकनीकी खराबी हुई, इन सभी पहलुओं को खंगाला जा रहा है। इसके साथ ही हादसे के बाद से लापता चालक की तलाश जारी है, ताकि पूरे घटनाक्रम की स्पष्ट जानकारी मिल सके।
स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़क का यह हिस्सा बेहद खतरनाक मोड़ों वाला है और रात के समय नियंत्रण खोने की संभावना ज्यादा रहती है। यह हादसा फिर एक बार याद दिलाता है कि पहाड़ी क्षेत्रों में ड्राइविंग के दौरान जरा-सी चूक जानलेवा साबित हो सकती है।
पर्यटकों के इस समूह के लिए यह यात्रा आध्यात्मिक सुकून पाने की थी, लेकिन दुर्भाग्यवश दो परिवारों के लिए यह कभी न भरने वाला जख्म बन गई। जिन परिवारों ने अपने लोगों को इस सफर पर मुस्कुराते हुए विदा किया था, उन्हें अब दर्दनाक खबर मिली है।
पुलिस प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि मामले की गंभीरता से जांच होगी और भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे। अभी पूरा क्षेत्र शोक में डूबा है और हर कोई इस घटना से दुखी है। पहाड़ की यह रात लंबे समय तक लोगों के मन में एक कड़वी याद बनकर रहेगी।