आंध्र-ओडिशा में बड़ी सफलता: मुठभेड़ में 7 नक्सली ढेर, तकनीकी विशेषज्ञ शंकर भी मारा गया

Wed 19-Nov-2025,11:33 AM IST +05:30

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आंध्र-ओडिशा में बड़ी सफलता: मुठभेड़ में 7 नक्सली ढेर, तकनीकी विशेषज्ञ शंकर भी मारा गया Maredumilli encounter update
  • मारेडमिल्ली मुठभेड़ में सात नक्सली ढेर, तकनीकी विशेषज्ञ शंकर की मौत.

  • संयुक्त बलों ने जंगल में दो दिन तक चलाया तलाशी अभियान.

  • बरामद दस्तावेज और हथियार नक्सली नेटवर्क की जांच में अहम.

Andhra Pradesh / Machilipatnam :

Maredumilli / आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी के मारेडमिल्ली इलाके में हुई हालिया मुठभेड़ ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि सुरक्षा बलों की सतर्कता और लगातार दबाव के सामने नक्सलियों की ताकत कमजोर पड़ रही है। बुधवार सुबह हुई इस कार्रवाई में सात नक्सली मारे गए, जिनमें तीन महिलाएं भी थीं। यह ऑपरेशन मंगलवार से ही चल रहा था और इंटेलिजेंस एडीजी महेश चंद्र लड्डा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि मौके से कई महत्वपूर्ण दस्तावेज, हथियार और तकनीकी उपकरण मिले हैं, जो इस पूरे नेटवर्क को समझने में अहम साबित हो सकते हैं।

मारे गए नक्सलियों में एक नाम सबसे ज्यादा चर्चा में रहा—मेटुरी जोगाराव उर्फ शंकर। शंकर तकनीक का जानकार था, और आंध्र-ओडिशा बॉर्डर (AOB) में एरिया कमेटी मेंबर के रूप में सक्रिय भूमिका निभा रहा था। उसकी विशेषज्ञता हथियार बनाने, संचार प्रणाली संभालने और पूरे तकनीकी नेटवर्क को मजबूत करने में थी। पुलिस के अनुसार, वह उन चुनिंदा कैडरों में से एक था, जो माओवादी संगठन की आधुनिक क्षमताओं को बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहे थे। उसकी मौत नक्सलियों के तकनीकी ढांचे को बड़ा झटका मानी जा रही है।

यह मुठभेड़ ऐसे समय में हुई है जब हाल के महीनों में आंध्र-ओडिशा क्षेत्र में माओवादी गतिविधियाँ फिर से बढ़ने लगी थीं। जंगलों में नए ठिकाने बनाने, स्थानीय कैडर को दोबारा सक्रिय करने और अपनी उपस्थिति मजबूत करने जैसे संकेत मिलने लगे थे। इनपुट मिलने पर मंगलवार को संयुक्त बलों ने तलाशी अभियान शुरू किया, जिसके बाद बुधवार सुबह यह बड़ा ऑपरेशन सामने आया।

इस पूरी घटना को हिडमा जैसे माओवादी कमांडरों के प्रभाव से अलग करके नहीं देखा जा सकता। माड़वी हिडमा का नाम बस्तर क्षेत्र में दहशत का प्रतीक रहा है। 1981 में सुकमा के पुरवती गांव में जन्मा हिडमा पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) बटालियन नंबर 1 का प्रमुख था। यह वही यूनिट है जिसे माओवादियों की सबसे घातक स्ट्राइक फोर्स माना जाता है। वह न सिर्फ माओवादी केंद्रीय समिति का सबसे युवा सदस्य था, बल्कि बस्तर से इस स्तर तक पहुंचने वाला अकेला आदिवासी कैडर भी था।

हिडमा कई बड़े, खौफनाक हमलों का मास्टरमाइंड रहा है—2010 का दंतेवाड़ा हमला, जिसमें 76 जवान शहीद हुए; 2013 का झीरम घाटी नरसंहार, जिसमें शीर्ष कांग्रेस नेताओं सहित 27 लोग मारे गए; 2017 का सुकमा हमला और 2021 की सुकमा-बीजापुर मुठभेड़, जिसमें 22 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए। उसके सिर पर 50 लाख रुपये का इनाम रखा गया है, और उसे पकड़ना सुरक्षा एजेंसियों की प्राथमिकता बनी हुई है।

हालांकि, हाल के वर्षों में नक्सल मोर्चे पर तस्वीर बदलती दिखाई देती है। आईजी पी. सुंदरराज का हालिया बयान इसका बड़ा संकेत देता है। उनका कहना है कि 31 मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ को नक्सल मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है, और पिछले 20 महीनों में 2200 से अधिक नक्सली मुख्यधारा में शामिल हो चुके हैं। एएनआई से बातचीत में उन्होंने बताया कि दो सत्रों में बस्तर क्षेत्र से 450 से ज्यादा नक्सलियों के शव बरामद किए गए हैं, जिनमें कई शीर्ष कमांडर भी शामिल थे। इसके अलावा, केंद्रीय समिति से लेकर पोलित ब्यूरो स्तर के सदस्यों तक, 300 से अधिक माओवादी कैडरों ने हथियार छोड़कर सामान्य जीवन अपनाने का फैसला किया है।

यह बदलाव बताता है कि सुरक्षा बलों का दबाव, बेहतर रणनीति, तकनीकी बढ़त और विकास योजनाओं का असर धीरे-धीरे दिखाई दे रहा है। मारेडमिल्ली की मुठभेड़ इस बड़े अभियान का एक और कदम है, जो देश को लंबे समय से जकड़े इस उग्रवाद को समाप्त करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।