राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कर्नाटक में शिवरात्रिश्वर शिवयोगी की 1066वीं जयंती का उद्घाटन किया
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राष्ट्रपति मुर्मू ने शिवरात्रिश्वर शिवयोगी को त्याग, सेवा और आध्यात्मिक चेतना का प्रतीक बताते हुए संत परंपरा की भूमिका रेखांकित की।
सुत्तूर मठ और जेएसएस संस्थानों को शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण विकास में अग्रणी बताया गया।
विकसित भारत 2047 के लिए तकनीक, नैतिकता, युवा सशक्तिकरण और सामाजिक समावेशन के संतुलन पर राष्ट्रपति का जोर।
कर्नाटक/ भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने कल कर्नाटक के मांड्या जिले के मालवल्ली में आदि जगद्गुरु श्री शिवरात्रिश्वर शिवयोगी महास्वामीजी की 1066वीं जयंती समारोह का विधिवत उद्घाटन किया। इस पावन अवसर पर उन्होंने संत परंपरा की अमूल्य भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि युगों-युगों से संतों ने मानवता को ज्ञान, करुणा और नैतिक चेतना का मार्ग दिखाया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि सच्ची महानता सत्ता या संपत्ति से नहीं, बल्कि त्याग, सेवा और आध्यात्मिक शक्ति से प्राप्त होती है। आदि जगद्गुरु श्री शिवरात्रिश्वर शिवयोगी महास्वामीजी का जीवन और दर्शन समाज को आत्मबोध, समरसता और सेवा का संदेश देता है। उन्होंने संत परंपरा को भारतीय सभ्यता की आत्मा बताते हुए कहा कि यह परंपरा आज भी समाज को दिशा देने में सक्षम है।
राष्ट्रपति ने जेएसएस महाविद्यालय और सुत्तूर मठ के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि मठ के मार्गदर्शन में यह संस्थान शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण, ग्रामीण विकास और सांस्कृतिक संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक स्तर पर फैले इसके संस्थान युवा प्रतिभाओं को निखारने और समावेशी समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि तेज़ बदलाव और अनिश्चितता के दौर में आध्यात्मिक मार्गदर्शन सामाजिक सद्भाव, नैतिक नेतृत्व और आंतरिक दृढ़ता के लिए आवश्यक है। उन्होंने विकसित भारत 2047 के लक्ष्य का उल्लेख करते हुए कहा कि तकनीकी प्रगति के साथ-साथ मूल्यों की मजबूती भी उतनी ही जरूरी है।
राष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि भारत की सबसे बड़ी शक्ति उसके युवा हैं। उनका चरित्र, ईमानदारी और संकल्प ही देश के भविष्य की दिशा तय करेगा। उन्होंने सुत्तूर मठ जैसे संस्थानों से आह्वान किया कि वे युवाओं को प्रेरित करें, जिम्मेदार नागरिक तैयार करें और भारत के उज्ज्वल भविष्य के निर्माण में मार्गदर्शक बनें।