शशि थरूर ने ‘वीर सावरकर अवॉर्ड’ ठुकराया: सहमति बिना नाम घोषित करने पर नाराज़गी
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शशि थरूर ने सहमति बिना नाम घोषित होने पर अवॉर्ड ठुकराया.
HRDS इंडिया ने कहा—सूचना पहले दी गई थी.
मामले पर राजनीतिक और मीडिया हलकों में बढ़ी चर्चा.
Delhi / कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने बुधवार को ‘वीर सावरकर अवॉर्ड’ स्वीकार करने से साफ मना कर दिया और आयोजकों को गैर-जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना है कि उनकी सहमति के बिना उनका नाम इस अवॉर्ड के लिए घोषित करना पूरी तरह अनुचित था। थरूर को हाईरेंज रूरल डेवलपमेंट सोसाइटी इंडिया द्वारा इस वर्ष स्थापित किए गए ‘वीर सावरकर इंटरनेशनल इम्पैक्ट अवॉर्ड 2025’ में शामिल किया गया था। यह अवॉर्ड दिल्ली में प्रस्तुत किया जाना था।
थरूर ने अपने पोस्ट में बताया कि उन्हें इस बारे में मीडिया रिपोर्टों से ही जानकारी मिली। उन्होंने कहा कि वे केरल में स्थानीय स्वशासन चुनावों के लिए गए थे, और वहां मीडिया से बात करते हुए उन्होंने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि न तो उन्हें इस अवॉर्ड के बारे में पता था और न ही उन्होंने इसे स्वीकार किया था। उनका कहना है कि आयोजकों द्वारा बिना उनकी सहमति के नाम घोषित करना जिम्मेदारीहीनता है।
इसके बावजूद, दिल्ली में कुछ मीडिया हाउस ने वही सवाल दोहराया, जिसके बाद थरूर ने पुनः बयान जारी कर स्पष्ट किया कि बिना अवॉर्ड के स्वरूप, प्रस्तुत करने वाली संस्था या किसी अन्य विवरण की जानकारी के, उनके अवॉर्ड स्वीकार करने या कार्यक्रम में शामिल होने का कोई सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने कहा कि इस स्थिति में उनका किसी कार्यक्रम में शामिल होना या अवॉर्ड लेना संभव नहीं है।
HRDS इंडिया के सचिव अजी कृष्णन ने PTI से बात करते हुए कहा कि थरूर को इस अवॉर्ड के बारे में पहले से सूचित किया गया था। उन्होंने यह भी बताया कि HRDS इंडिया के प्रतिनिधि और जूरी अध्यक्ष थरूर से उनके घर पर मिलकर उन्हें निमंत्रण देने गए थे। इसी दौरान थरूर ने अन्य अवॉर्ड विजेताओं की सूची भी मांगी थी। अजी कृष्णन ने यह दोहराया कि सांसद को नामांकन और निमंत्रण के बारे में पहले ही जानकारी दी गई थी।
केरल के कानून मंत्री पी. राजीव ने कहा कि अवॉर्ड स्वीकार या अस्वीकार करने का निर्णय पूरी तरह शशि थरूर का व्यक्तिगत अधिकार है। उनका यह बयान स्पष्ट करता है कि थरूर की सहमति बिना उन्हें अवॉर्ड देने का कोई औचित्य नहीं बनता।
इस घटना ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में ध्यान खींचा है। थरूर ने अपनी स्थिति स्पष्ट रूप से जाहिर की है कि वे किसी भी अवॉर्ड को जबरदस्ती स्वीकार नहीं करेंगे और इसके लिए मीडिया और आयोजकों की जिम्मेदारी है कि वे सही जानकारी और सहमति सुनिश्चित करें। यह मामला यह भी दिखाता है कि अवॉर्ड या सम्मान को लेकर पारदर्शिता और प्राप्तकर्ता की स्वीकृति कितनी महत्वपूर्ण होती है।
थरूर की प्रतिक्रिया ने यह संदेश दिया कि सम्मान प्राप्त करने की प्रक्रिया में व्यक्ति की सहमति और सही जानकारी अनिवार्य है। इस स्थिति ने आयोजकों और मीडिया के काम करने के तरीके पर सवाल भी खड़ा किया। शशि थरूर ने अपने बयान में संयम और स्पष्टता का परिचय देते हुए यह भी जताया कि वे किसी भी भ्रम या गलतफहमी के कारण अवॉर्ड स्वीकार नहीं करेंगे।