सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली दंगों के आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा

Wed 10-Dec-2025,07:46 PM IST +05:30

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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली दंगों के आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा Delhi-Riots
  • सुप्रीम कोर्ट ने जमानत याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा.

  • शरजील इमाम की दलीलों और पुलिस की दलीलें रिकॉर्ड पर ली गईं.

  • 2020 दिल्ली दंगों में गंभीर हिंसा और घायलों की संख्या.

Delhi / Delhi :

Delhi / सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को UAPA के तहत दर्ज दिल्ली दंगों की बड़ी साजिश के मामले में उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा, मीरान हैदर, शादाब अहमद और मोहम्मद सलीम खान की जमानत याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कहा कि शरजील इमाम के कथित भाषण को अन्य आरोपियों के खिलाफ भी सबूत के तौर पर देखा जा सकता है। जस्टिस अरविंद कुमार और एनवी अंजारिया की बेंच ने सभी आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई पूरी कर ली।

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से सवाल किया कि जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में 2016 में कथित टुकड़े-टुकड़े नारों से संबंधित पुरानी FIR का 2020 के दंगों से क्या संबंध है। पुलिस की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने दलील दी कि एक साजिशकर्ता की करतूत को अन्य आरोपियों पर लागू किया जा सकता है। शरजील इमाम के भाषण को उमर खालिद समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ सबूत के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

इससे पहले दिल्ली पुलिस ने आरोपियों की जमानत का कड़ा विरोध किया और कहा कि दिल्ली दंगे अपने आप नहीं भड़के थे, बल्कि यह भारत की संप्रभुता पर सुनियोजित हमला था। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों और दस्तावेजों को रिकॉर्ड पर लिया। अदालत ने वकीलों को निर्देश दिया कि सभी दस्तावेज़ों को कंपाइलेशन में 18 दिसंबर तक जमा करें ताकि 19 दिसंबर को विंटर वेकेशन से पहले फैसला लिया जा सके।

शरजील इमाम ने अपनी दलील में कहा कि वह न तो दंगों में शामिल था और न ही इसका कोई हिस्सा था। छह साल से वह विचाराधीन कैदी के रूप में जेल में है। उसके खिलाफ केवल कथित भड़काऊ भाषण के आरोप हैं। वकील सिद्धार्थ दवे ने कहा कि भले ही शरजील के भाषण में कड़वे शब्द थे, लेकिन यह केवल एकतरफा नहीं था। उन्होंने बताया कि शरजील को 28 जनवरी 2020 को गिरफ्तार किया गया था जबकि दंगे फरवरी में हुए थे, यानी शरजील पहले से हिरासत में था।

दिल्ली दंगों के सिलसिले में लगभग 750 FIR दर्ज की गईं, जिनमें शरजील का नाम नहीं था। अब छह साल की हिरासत के बाद वह जमानत मांग रहा है, खासकर उन मामलों में जहां वह सीधे आरोपी नहीं है। दिल्ली पुलिस ने उमर, शरजील और अन्य पर 2020 के दंगों के मास्टरमाइंड होने के आरोप लगाए हैं, साथ ही आतंकवाद विरोधी कानून (UAPA) और आईपीसी की प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है। 22 से 24 फरवरी 2020 के दौरान हुए दंगों में 53 लोग मारे गए और 700 से अधिक घायल हुए थे।

सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि दोनों पक्षों की दलीलों और प्रस्तुत दस्तावेजों के आधार पर ही अंतिम फैसला लिया जाएगा। अदालत ने वकीलों से कहा कि सभी सबूतों और दस्तावेजों का समुचित कंपाइलेशन तैयार किया जाए, ताकि न्यायिक प्रक्रिया में किसी तरह की चूक न हो। इस मामले की सुनवाई ने देश में न्याय और कानूनी प्रक्रिया की संवेदनशीलता को उजागर किया है, जबकि आरोपी लंबे समय से न्याय की प्रतीक्षा में हैं।