40 साल बाद पकड़ में आया आरोपी: कानपुर पुलिस की बड़ी कामयाबी
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40 साल बाद आरोपी गिरफ्तार.
नई पहचान बनाकर था फरार.
पुलिस टीम को इनाम.
Kanpur / कानपुर पुलिस कमिश्नरेट की फीलखाना पुलिस ने एक ऐसी गिरफ्तारी की है जिसने कानून व्यवस्था और जांच तंत्र की क्षमता को फिर साबित किया है। लगभग 40 वर्षों से फरार चल रहे हत्या के आरोपी प्रेम प्रकाश उर्फ प्रेम कुमार उर्फ पप्पू को पुलिस ने पकड़ लिया है। यह सिर्फ एक गिरफ्तारी नहीं, बल्कि उस अपराध प्रणाली की जीत है जो यह संदेश देती है—कानून की पकड़ चाहे देर से सही, पर बेहद मजबूत होती है।
कहाँ से शुरू हुई कहानी?
यह मामला साल 1982 का है। कानपुर के फीलखाना थाना क्षेत्र में एक हत्या हुई, और इस घटना में प्रेम कुमार समेत कई लोगों के खिलाफ धारा 147, 148, 149 और 302 के तहत मामला दर्ज हुआ। इसके बाद मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचा। 1985 में आरोपी को अदालत में हाजिर होना था, लेकिन ठीक उसी समय वह फरार हो गया।
इसके बावजूद अदालत ने कई बार पेशी के आदेश जारी किए, और अंत में गैर ज़मानती वारंट (NBW) भी जारी किया गया। लेकिन आरोपी ने चालाकी से सिस्टम को चकमा दिया—नाम बदल लिया, शहर बदल लिया और अपना पूरा जीवन नई पहचान के साथ जीना शुरू कर दिया।
पहचान बदलकर जी रहा था दूसरा जीवन
आरोपी कानपुर से भागकर गोंडा जिले पहुंच गया और वहां उसने अपना नाम बदलकर ‘प्रेम प्रकाश’ रख लिया। न सिर्फ नाम बदलकर वह वहां रहने लगा, बल्कि आधिकारिक पहचान पत्र में भी वही जानकारी दर्ज करवा ली, जिससे किसी को उस पर संदेह न हो।
लगभग चार दशक तक वह सामान्य जीवन जीता रहा—ऐसा जैसे उसके ऊपर कोई अपराध दर्ज ही न हो।
लेकिन कानून कभी भूलता नहीं
पुलिस कमिश्नरेट कानपुर नगर ने इस मामले को हल्के में नहीं लिया। पुलिस आयुक्त, संयुक्त पुलिस आयुक्त, पुलिस उपायुक्त और सहायक पुलिस आयुक्त के नेतृत्व में एक विशेष टीम बनाई गई, जिसने आरोपी की तलाश को फिर से शुरू किया।
टीम ने आरोपी के पुराने रिश्तों, संपर्कों और पहचान से जुड़े सबूतों की परतें खोलनी शुरू कीं। महीनों तक जांच, निगरानी और खुफिया इनपुट जुटाने के बाद पुलिस इस निष्कर्ष पर पहुंची कि आरोपी अपने मूल गांव — बिरतिहन पुरवा, कर्नलगंज, जिला गोंडा — में रह रहा है।
आखिरकार गिरफ्तारी
20 नवंबर 2025 की रात, पुलिस टीम ने आरोपी के घर पर दबिश दी। जब पुलिस के सामने 70 वर्षीय बुजुर्ग आया, तो शायद किसी को अंदाज़ा नहीं था कि यही वह शख्स है जिसने 40 साल से कानून को ठगा हुआ था।
जब उससे पूछताछ की गई, तो उसने स्वीकार कर लिया कि वह ही प्रेम कुमार है और उसने पहचान छुपाने के लिए नाम बदला था ताकि उसे फिर कभी गिरफ्तार न किया जा सके।
पुलिस टीम को सम्मान
इतनी लंबी अवधि से फरार आरोपी को गिरफ्तार करना आसान नहीं था। यह धैर्य, तकनीक, अनुभव और लगातार की गई मेहनत का परिणाम है। इसी उपलब्धि को देखते हुए पुलिस टीम को ₹25,000 इनाम देने की घोषणा की गई है।
संदेश स्पष्ट है
यह गिरफ्तारी बताती है कि अपराध चाहे कितना पुराना हो जाए, न्याय अपनी मंज़िल तक पहुँचता है। तकनीक और काम करने के तरीके बदल रहे हैं, और अपराधियों के लिए छिपना पहले जैसा आसान नहीं रहा।
यह मामला समाज और अपराधियों दोनों के लिए एक सबक है—
“भागकर बचा जा सकता है, लेकिन हमेशा के लिए नहीं।”