NCC Cadets की Everest Victory: तीसरी सफलता के बाद Safe वापसी

Mon 19-May-2025,10:28 PM IST +05:30

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NCC Cadets की Everest Victory: तीसरी सफलता के बाद Safe वापसी एनसीसी की तीसरी ऐतिहासिक एवरेस्ट विजय
  • 10 कैडेट्स ने माउंट एवरेस्ट पर फहराया तिरंगा।

  • सबसे कम उम्र का कैडेट मात्र 16 वर्ष का।

  • एनसीसी की तीसरी ऐतिहासिक एवरेस्ट विजय।

Delhi / Delhi :

राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) का पर्वतारोहण दल 18 मई, 2025 को विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक चढ़ाई के बाद 19 मई को सुरक्षित रूप से बेस कैंप लौट आया। यह तीसरी बार है जब एनसीसी ने एवरेस्ट पर विजय पाई है, इससे पहले 2013 और 2016 में भी यह सफलता प्राप्त की जा चुकी है। इस बार की चढ़ाई को विशेष रूप से ऐतिहासिक इसलिए माना जा रहा है क्योंकि यह पूरी तरह कैडेट्स की टीम द्वारा की गई, जिसमें 10 नव प्रशिक्षित युवक-युवतियाँ शामिल थे। इन सभी को कठोर चयन प्रक्रिया और प्रशिक्षण से गुजरना पड़ा था।

दल में भाग लेने वाले सभी कैडेट्स की औसत आयु 19 वर्ष थी, और सबसे कम उम्र का सदस्य मात्र 16 वर्ष का था। इस अभियान में भाग लेने वाले कैडेट्स थे: मोनिका (राजस्थान), प्रतिमा राय (पश्चिम बंगाल), रिफाइनेस वारजरी (मेघालय), कृतिका शर्मा (हिमाचल प्रदेश), आबिदा आफरीन (लद्दाख), मोहित नथिया (जम्मू-कश्मीर), पद्मा नामगेल (चंडीगढ़), वीरेंद्र सिंह सामंत, सचिन कुमार और मुकुल बंगवाल (तीनों उत्तराखंड)। इन सभी कैडेट्स ने कठिन मौसम और जटिल परिस्थितियों में भी अद्वितीय साहस और मनोबल का प्रदर्शन किया। इनकी दृढ़ता और कौशल ने न केवल शेरपा गाइड्स को बल्कि अन्य अंतरराष्ट्रीय पर्वतारोहियों को भी प्रभावित किया।

माउंट एवरेस्ट पर पहुंचते ही दल ने गर्व के साथ राष्ट्रीय ध्वज और एनसीसी ध्वज फहराया, जो युवा भारतीयों की शक्ति, साहस और संगठन की दृढ़ता का प्रतीक बन गया। इस अभियान की तैयारी चरणबद्ध तरीके से की गई थी। सबसे पहले दल ने माउंट अबी-गामिन पर एक प्री-एवरेस्ट अभियान में हिस्सा लिया। इसके बाद उन्हें सेना के माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट में प्रशिक्षित किया गया और सियाचिन बेस कैंप में शीतकालीन प्रशिक्षण प्रदान किया गया। इन सभी चरणों में कैडेट्स की कार्यक्षमता, मानसिक मजबूती और नेतृत्व कौशल का परीक्षण हुआ, जिसके आधार पर एवरेस्ट दल का अंतिम चयन हुआ।

इस मिशन को औपचारिक रूप से 03 अप्रैल, 2025 को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया था। पूरे अभियान के दौरान सुरक्षा के सभी मापदंडों का सख्ती से पालन किया गया। मौसम की प्रतिकूलता, ऑक्सीजन की कमी और कठिन भूगोल के बावजूद कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ और सभी कैडेट सुरक्षित लौटे। यह उपलब्धि न केवल एनसीसी की संगठनात्मक कुशलता को दर्शाती है, बल्कि यह युवा भारत की अनुशासित, प्रशिक्षित और प्रेरित पीढ़ी का प्रतीक भी है। इस साहसी उपलब्धि ने देश का नाम रोशन किया है और यह भविष्य के युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बनेगी।