प्रल्हाद जोशी ने राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस के अवसर पर इलेक्ट्रिक कृषि ट्रैक्टरों के लिए मानक जारी किए
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केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने इलेक्ट्रिक कृषि ट्रैक्टरों के लिए BIS का नया मानक IS 19262:2025 जारी किया, जिससे सुरक्षा व सतत कृषि को बढ़ावा मिलेगा।
नया मानक स्वच्छ कृषि प्रौद्योगिकी, कम उत्सर्जन और सतत कृषि मशीनीकरण को बढ़ावा देगा। किसानों और उपभोक्ताओं में इलेक्ट्रिक ट्रैक्टरों की विश्वसनीयता और स्वीकार्यता बढ़ेगी।
नई दिल्ली/ केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी ने 28 दिसंबर 2025 को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस 2025 के अवसर पर नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित कार्यक्रम के दौरान इलेक्ट्रिक कृषि ट्रैक्टरों के लिए भारत का पहला समर्पित मानक आईएस 19262:2025– ‘इलेक्ट्रिक कृषि ट्रैक्टर: परीक्षण संहिता’ जारी किया। यह मानक देश में तेजी से उभर रहे इलेक्ट्रिक कृषि यंत्रीकरण क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक और दूरदर्शी कदम माना जा रहा है।
इस मानक को भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा विकसित किया गया है, जिसका उद्देश्य इलेक्ट्रिक कृषि ट्रैक्टरों की सुरक्षा, विश्वसनीयता और कार्यक्षमता को एकसमान वैज्ञानिक ढांचे के तहत सुनिश्चित करना है। अब तक इलेक्ट्रिक ट्रैक्टरों के लिए विशिष्ट और मानकीकृत परीक्षण प्रक्रियाओं के अभाव में इनके प्रदर्शन और सुरक्षा का समान मूल्यांकन एक बड़ी चुनौती बना हुआ था।
मानक की प्रमुख विशेषताएं
आईएस 19262:2025 सभी हितधारकों के लिए एक साझा शब्दावली, सामान्य दिशानिर्देश और मानकीकृत परीक्षण प्रक्रियाएं निर्धारित करता है। इसमें इलेक्ट्रिक कृषि ट्रैक्टरों के पीटीओ पावर, ड्रॉबार पावर, बेल्ट व पुली प्रदर्शन, कंपन मापन, विनिर्देश सत्यापन तथा विभिन्न घटकों और असेंबली के निरीक्षण से जुड़े परीक्षण शामिल हैं।
यह मानक तकनीकी रूप से आईएस 5994:2022 (कृषि ट्रैक्टर – परीक्षण संहिता) और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए विकसित संगत ऑटोमोटिव उद्योग मानकों पर आधारित है, जिन्हें विशेष रूप से कृषि अनुप्रयोगों के अनुरूप ढाला गया है।
कृषि और पर्यावरण के लिए लाभ
इलेक्ट्रिक कृषि ट्रैक्टर पारंपरिक डीजल-चालित ट्रैक्टरों का टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल विकल्प प्रस्तुत करते हैं। ये ट्रैक्टर टेलपाइप उत्सर्जन को पूरी तरह समाप्त करते हैं, जिससे वायु प्रदूषण और कार्बन उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी आती है।
कम शोर, धुएं से मुक्ति और कम कंपन के कारण ये ट्रैक्टर किसानों को स्वस्थ कार्य वातावरण प्रदान करते हैं। साथ ही, डीजल इंजनों की तुलना में इनमें कम चलने वाले पुर्जे होते हैं, जिससे रखरखाव लागत घटती है, ऊर्जा दक्षता बढ़ती है और परिचालन खर्च कम होता है। यह मानक कृषि क्षेत्र में डीजल पर निर्भरता कम करने की दिशा में भी एक मजबूत कदम है।
नवाचार और विश्वास को बढ़ावा
आईएस 19262:2025 के तहत प्राप्त परीक्षण डेटा से इलेक्ट्रिक ट्रैक्टरों के प्रदर्शन और सुरक्षा मूल्यांकन के लिए वैज्ञानिक आधार उपलब्ध होगा। भविष्य में इसी डेटा के आधार पर विशिष्ट स्वीकृति मानदंड और अनुरूपता मूल्यांकन योजनाएं विकसित की जा सकेंगी।
यह मानक निर्माताओं को विश्वसनीय और सुरक्षित उत्पाद विकसित करने में मदद करेगा, वहीं किसानों और उपभोक्ताओं में इलेक्ट्रिक कृषि ट्रैक्टरों को लेकर विश्वास और पारदर्शिता बढ़ाएगा।
हितधारकों की सहभागिता
इस मानक के निर्माण में इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर निर्माता, परीक्षण एवं प्रमाणन एजेंसियां, अनुसंधान एवं शैक्षणिक संस्थान तथा कृषि अभियांत्रिकी व इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के विशेषज्ञ सक्रिय रूप से शामिल रहे। इसमें कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, आईसीएआर–केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान (भोपाल), सीएएमटीटीआई बुदनी, ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (पुणे) और किसान संगठनों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
भविष्य की दिशा
हालांकि यह मानक स्वैच्छिक है, लेकिन इसे भारत के मानकीकरण ढांचे को मजबूत करने और कृषि क्षेत्र में उभरती प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने की दिशा में एक निर्णायक पहल माना जा रहा है। यह पहल भारत को स्वच्छ कृषि प्रौद्योगिकी, सतत कृषि मशीनीकरण और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के वैश्विक रुझानों के अनुरूप आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएगी।