केंद्र ने महाराष्ट्र के ग्रामीण निकायों को 15वें वित्त आयोग की पहली किस्त के रूप में ₹717.17 करोड़ जारी किए
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केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र के ग्रामीण स्थानीय निकायों को 15वें वित्त आयोग के तहत 717.17 करोड़ रुपये की पहली अप्रतिबंधित किस्त जारी की।
अनुदान से जिला, ब्लॉक और ग्राम पंचायतों को स्थानीय आवश्यकताओं, बुनियादी ढांचे और सेवाओं को सुदृढ़ करने में सीधा वित्तीय समर्थन मिलेगा।
स्वच्छता, ओडीएफ रखरखाव, पेयजल आपूर्ति, वर्षा जल संचयन और अपशिष्ट प्रबंधन जैसी ग्रामीण सुविधाओं को और मजबूत करने पर विशेष जोर।
New Delhi/ केंद्र सरकार ने 15वें वित्त आयोग की अनुशंसाओं के तहत महाराष्ट्र के ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए 717.17 करोड़ रुपये की पहली किस्त जारी की है। यह राशि वित्त वर्ष 2025-26 के लिए अप्रतिबंधित अनुदान के रूप में प्रदान की गई है, जिसे राज्य के विधिवत निर्वाचित एवं पात्र ग्रामीण स्थानीय निकायों को सीधे हस्तांतरित किया गया है। इस अनुदान का लाभ राज्य की 2 जिला पंचायतों, 15 ब्लॉक पंचायतों और 26,544 ग्राम पंचायतों को मिलेगा।
भारत सरकार द्वारा पंचायती राज मंत्रालय एवं जल शक्ति मंत्रालय की सिफारिशों के आधार पर जारी किए जाने वाले ये अनुदान ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे, सेवाओं और प्रशासनिक दक्षता को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अप्रतिबंधित अनुदानों का उपयोग संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची में शामिल 29 विषयों के अंतर्गत स्थानीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया जा सकेगा, हालांकि इसका उपयोग वेतन एवं स्थापना व्यय के लिए नहीं किया जाएगा।
सरकार के अनुसार, प्रतिबंधित अनुदानों का उद्देश्य स्वच्छता, ओडीएफ स्थिति बनाए रखने, घरेलू एवं मानव मल अपशिष्ट प्रबंधन, और पेयजल आपूर्ति जैसी आवश्यक सेवाओं को सशक्त करना है। ग्रामीण निकाय इन निधियों का उपयोग वर्षा जल संचयन, जल पुनर्चक्रण और अन्य बुनियादी जल-संबंधी संरचनाओं को बेहतर बनाने में कर सकेंगे।
सरकार का लक्ष्य ग्रामीण शासन तंत्र को वित्तीय रूप से मजबूत बनाना और स्थानीय स्तर पर विकास कार्यों की गति तेज करना है, जिससे ग्राम पंचायतें सीधे लोगों की आवश्यकताओं के अनुरूप बेहतर योजनाएँ लागू कर सकें।