उपराष्ट्रपति ने IDAS प्रशिक्षुओं से विकसित भारत के लिए सेवा भाव और सत्यनिष्ठा अपनाने को कहा

Mon 22-Dec-2025,05:06 PM IST +05:30

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उपराष्ट्रपति ने IDAS प्रशिक्षुओं से विकसित भारत के लिए सेवा भाव और सत्यनिष्ठा अपनाने को कहा
  • उपराष्ट्रपति ने IDAS प्रशिक्षुओं से सेवा भाव, कर्तव्य बोध और समावेशी विकास को विकसित भारत 2047 का आधार बनाने का आह्वान किया।

  • रक्षा लेखा सेवा की भूमिका को सशस्त्र बलों की परिचालन तत्परता और विवेकपूर्ण वित्तीय प्रबंधन से जोड़ा गया।

  • सत्यनिष्ठा, पारदर्शिता और निरंतर क्षमतावर्धन के लिए iGOT कर्मयोगी जैसे प्लेटफॉर्म्स के उपयोग पर बल।

Delhi / New Delhi :

Delhi/ उपराष्ट्रपति श्री सीपी राधाकृष्णन ने आज उपराष्ट्रपति एन्क्लेव में भारतीय रक्षा लेखा सेवा (IDAS) के 2023 और 2024 बैच के प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित किया। उन्होंने प्रशिक्षुओं का स्वागत करते हुए कहा कि रक्षा लेखा विभाग की 275 वर्षों से अधिक की समृद्ध विरासत है और यह सरकार के सबसे पुराने तथा भरोसेमंद विभागों में शामिल है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को हासिल करने में सिविल सेवकों की भूमिका निर्णायक होगी। अमृतकाल में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान का स्मरण कराते हुए उन्होंने जोर दिया कि विकास समावेशी हो और अंतिम छोर तक सेवा पहुँचे। युवा अधिकारियों की ऊर्जा, नवाचार और तकनीक-समर्थ सोच को राष्ट्र निर्माण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने “सेवा भाव और कर्तव्य बोध” को मार्गदर्शक मंत्र के रूप में अपनाने का आह्वान किया।

IDAS के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह सेवा भारतीय सशस्त्र बलों और संबद्ध संगठनों के वित्तीय संसाधन प्रबंधन में केंद्रीय भूमिका निभाती है। उन्होंने कहा कि रक्षा लेखा एवं वित्तीय प्राधिकरणों के अधिकारियों के रूप में प्रशिक्षुओं को सशस्त्र बलों की चुनौतियों को समझना और आत्मसात करना चाहिए, ताकि परिचालन तत्परता सुनिश्चित करने हेतु विवेकपूर्ण वित्तीय प्रबंधन किया जा सके।

उन्होंने सत्यनिष्ठा, पारदर्शिता, सतर्कता और उत्तरदायित्व के उच्चतम मानकों पर जोर देते हुए कहा कि सार्वजनिक धन करदाताओं के परिश्रम से अर्जित होता है, इसलिए उसका उपयोग अत्यंत जिम्मेदारी से होना चाहिए। तेज़ी से बदलती तकनीक और वैज्ञानिक प्रगति के दौर में निरंतर क्षमतावर्धन की आवश्यकता बताते हुए उन्होंने iGOT कर्मयोगी जैसे प्लेटफॉर्म्स के प्रभावी उपयोग के लिए प्रेरित किया।

सार्वजनिक सेवा में मूल्यों की चर्चा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि ज्ञान आवश्यक है, पर चरित्र सर्वोपरि है। उन्होंने अधिकारियों को याद दिलाया कि 140 करोड़ नागरिकों के देश में उन्हें सकारात्मक परिवर्तन लाने का दुर्लभ अवसर मिला है, जिसे विनम्रता और समर्पण से निभाना चाहिए। एक प्रशिक्षु के प्रश्न के उत्तर में उन्होंने नवीन विचार, आधुनिक प्रौद्योगिकी, उत्साह, सहानुभूति और प्रशासनिक नैतिकता अपनाने की अपेक्षाएँ स्पष्ट कीं।

कार्यक्रम में रक्षा सचिव श्री राजेश कुमार सिंह, रक्षा लेखा महानिदेशक श्री विश्वजीत सहाय, रक्षा सेवा वित्तीय सलाहकार श्री राज कुमार अरोड़ा सहित अन्य विशिष्ट जन उपस्थित रहे।