राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शताब्दी पर उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन की शुभकामनाएं
ताजा खबरों से अपडेट रहने के लिए हमारे Whatsapp Channel को Join करें |

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शताब्दी पर उपराष्ट्रपति की शुभकामनाएं
संघ का योगदान: आत्मानुशासित और उत्तरदायी नागरिकों का निर्माण
भारत को विश्वशक्ति बनाने में संघ की प्रेरक भूमिका
भारत के उपराष्ट्रपति श्री सी. पी. राधाकृष्णन ने आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शताब्दी पर हार्दिक शुभकामनाएं दीं। अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में उपराष्ट्रपति ने कहा कि विश्व का सबसे बड़ा राष्ट्रभक्त संगठन 100 वर्ष का हो चुका है। संघ का सबसे बड़ा योगदान ऐसे आत्मानुशासित और उत्तरदायी नागरिक हैं, जो सशक्त समाज की आधारशिला हैं। उपराष्ट्रपति ने कहा कि 1925 में डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार जी द्वारा स्थापित होने के बाद से, संघ ने युवाओं को मजबूत आंतरिक चरित्र निर्माण और निस्वार्थ भाव से समाज सेवा करने के लिए प्रेरित किया है।
श्री राधाकृष्णन के अनुसार “सेवा परमो धर्मः” के आदर्श से प्रेरित स्वयंसेवकों को चाहे बाढ़, अकाल, भूकंप या अन्य किसी भी आपदा का सामना करना पड़े, वे बिना किसी अपेक्षा या आदेश की प्रतीक्षा के संगठित होकर पीड़ितों की सेवा करते हैं। यह निस्वार्थ सेवा राष्ट्र के लिए एक अद्वितीय और अमूल्य उपहार है। उपराष्ट्रपति ने बल दिया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सेवा करते हुए कभी धर्म, जाति या भाषा के आधार पर भेदभाव नहीं करता।
संघ हमेशा समाज के साथ चलता है। यही वजह है कि संघ और उसके सभी संगठन सफल और निरंतर विकासशील हैं। उन्होंने यह भी विश्वास जताया कि वह दिन दूर नहीं जब भारत विश्व की सर्वोच्च शक्ति के रूप में स्थापित होगा। इस महान यात्रा में संघ की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण रही है और समय के साथ उसकी यह प्रेरक भूमिका निरंतर बनी रहेगी।
उपराष्ट्रपति ने संघ की निरंतर सेवा और राष्ट्रीय एकता, सद्भाव तथा प्रगति के महान मिशन को आगे बढ़ाने के लिए शुभकामनाएं दीं।